Witchcraft: झारखंड में डायन बिसाही के नाम पर हत्याओं के पीछे होता है बड़ा खेल?

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Witchcraft: झारखंड में डायन बिसाही (Witchcraft) के नाम पर खून के पीछे धन-दौलत के साथ ही ओझा-गुनी का बड़ा खेल होता है। अगर इस अंधविश्वास को खत्म करना है तो जागरूकता फैलानी होगी। प्रशासन को गांव के दबंगों और ओझा-गुनी के खेल को समझना होगा। साथ ही सरकार के कठोर कदम उठाने से ही इस तरह हो रहे कत्ल पर विराम लग सकेगा। इसके लिए सरकार ना सिर्फ मामलों की तह तक जांच करनी होगी, बल्कि ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे।

Witchcraft: झारखंड में डायन बिसाही के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित किए जाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। प्रतिदिन कहीं न कहीं से महिला के प्रताड़ित किए जाने या मार दिए जाने की खबर अखबारों में छपती रहती है। ऐसा तब हो रहा है, जब इस अंधविश्वास को दूर करने के लिए राज्य सरकार और सामाजिक संस्थाएं अभियान चलाती रहती हैं। लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी हैं कि समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। यही कारण है कि आए दिन प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से डायन बिसाही को लेकर चिह्नित ग्रामीणों को प्रताड़ित करने और नृशंस हत्या करने की घटनाएं अखबारों की सुर्खियां बनती है।

Witchcraft: डायन बिसाही को लेकर ग्रामीणों के मन मस्तिष्क में समाए इस अंधविश्वास की पड़ताल करने पर यह बात खुलकर सामने आने लगा है कि इसके पीछे ग्रामीण क्षेत्रों में अपना व्यापक प्रभाव जमा चुके झाड़-फूंक करने वाले ओझा गुनी का हाथ होता है। Witchcraft: इसके बाद जमीन व आपसी विवाद होता है। इसी की आड़ में लोग इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देते हैं। अमूमन यह देखने को मिलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अगर कोई बीमार पड़ गया, तो उसका इलाज ना कराकर उसे झाड़-फूंक के लिए ओझा गुनी के पास ले जाया जाता है। झाड़-फूंक के क्रम में ओझा गुनी भोले-भाले ग्रामीणों को अपने झांसे में लेकर उन्हे यह विश्वास दिलाने में कामयाब होते हैं कि बीमारी के पीछे किसी डायन का हाथ है। बस यहीं से शुरू होता है डायन के नाम पर चिह्नित महिला-पुरुष ग्रामीणों की प्रताड़ना। इसकी परिणति नृशंस हत्या में भी बदल जाती है।

कई बार जमीन कब्जाने को लेकर मढ़ दिया जाता है आरोप

Witchcraft: डायन बिसाही का आरोप कई बार ऐसे लोगों पर भी मढ़ दिया जाता है, जो लाचार होते हैं या नि:संतान। उनकी जमीन पर कब्जा करने को लेकर यह आरोप उन पर मढ़ दिया जाता है। बाद में प्रताड़ित करने के बाद उनकी हत्या कर दी जाती है। अंधविश्वास इतना गहरा है कि लोग अपने निकट के रिश्तेदारों की हत्या करने से भी गुरेज नहीं करते हैं। यहां तक की सगी चाची-चाचा, भाई-भाभी की हत्या कर दी जाती है। हत्या करने के बाद भी इनके चेहरे पर शिकन तक नहीं होता है। उन्हें पुलिस का भी कोई भय नहीं होता है। हत्या के बाद आरोपी सीधे स्थानीय थाने में जाकर आत्मसमर्पण कर देता है।

कब-कब हुईं घटनाएं

केस नम्बर वन। खूंटी जिले के आदिवासी बहुल Maranghada थाना क्षेत्र के Maranghada गांव निवासी मंगरा नाम की 48 वर्षीय पत्नी नौरी देवी की हत्या उसके ही सगे देवर jogon नाग ने कर दी थी। Jogon कुछ माह पहले बीमार पड़ा था। उसके बड़े भाई मंगरा नाग ने ही उसका इलाज कराया था। इसके बावजूद भी उसे शक था कि उसकी भाभी ने ही उस पर डायन बिसाही की थी।

केस दो। रांची जिले के सोनाहातू थाना क्षेत्र के राणाडीह गांव में 3 सितंबर 2022 को डायन बिसाही के मामले में तीन महिलाओं की हत्या कर दी गई थी।  हत्या के बाद उनके शव को लगभग ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित मारांगबुरू पहाड़ के नीचे जंगल में फेंक दिया गया था। इस तिहरे हत्याकांड को ग्रामीणो ने ओझा-गुनी के बहकावे में आकर अंजाम दिया था। पुलिस को जंगल में लाश को खोजने में दो दिन का समय लगा था।

केस तीन-अंधविश्वास की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि रांची जिले के बुंडू प्रखंड के हेसादा गांव के चार परिवारों का ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया था। इन्हें गांव के कुआं-डाड़ी से पानी लेने की मनाही थी। इन परिवारों के लोग गांव के किसी भी व्यक्ति से बातचीत भी नहीं कर सकते थे। इन परिवारों को चेतावनी दी गई थी कि पुलिस से अगर संपर्क किया, तो जान से मारे जाएंगे। ऐसा ओझा-गुनी के बहकावे में किया गया था। गांव में पूजा-पाठ के लिए ओझा-गुनी को बुलाने की तैयारी की गई थी। इसके लिए ओझा के बुलाने के लिए 2 लाख 30 हजार रुपये में बात तक कर ली गई थी। गांव के प्रत्येक परिवार से 1000-1000 रुपये की चंदा की बात तय कर ली गई थी। हालांकि, बाद में बुंडू थाना पुलिस व समाजसेवियों के समझाने पर पर लोग माने थे।

वृद्ध महिला-पुरुष पर ही लगता है डायन का आरोप

इस मामले में अक्सर यह भी देखा जा रहा है कि गांव के अमूमन वैसे वृद्ध-महिला पुरुष पर डायन होने का आरोप लगाया जाता है, जो अपेक्षाकृत कमजोर होते हैं। उन्हें पूरा गांव प्रताड़ित करता है। गांव के दबंग लोग एकजुट होकर पूरे गांव को अपने पक्ष में कर लेते हैं। ऐसा इसलिए भी होता है कि ग्रामीण अंधविश्वास में जकड़े हुए होते हैं। जो समझदार भी होते हैं वह भी डर के मारे बोल नहीं पाते हैं।

ग्रामीणों को जागरूक कर मिटाना होगा अंधविश्वास : छुटनी देवी

डायन बिसाही पीड़ितों के हक में लड़ाई लड़ने व ग्रामीणों को इसके प्रति जागरूक करने वाली पद्मश्री छुटनी देवी ने रांची जिले के सोनाहातू के राणाडीह गांव में तीन महिलाओं के सामूहिक हत्याकांड के बाद गांव आई थी। यहां पर उन्होंने कहा कि ग्रामीण ओझा-गुनी के चक्कर में न फंसे, इसके लिए उन्हें जागरूक करना होगा। उनका अंधविश्वास दूर करना होगा। उन्होंने कहा था कि इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि लोग इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देने के बारे में सोचें।

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