उम्मीदों की कोच फैक्ट्री बेरोजगारों की तरसती आंखें

93

क्षेत्रीय स्तर पर नौजवान रोजगार को लेकर पूछते हैं प्रश्न

रिपोर्ट – दुर्गेश सिंह

लालगंज / रायबरेली – मौजूदा समय में जब फैक्ट्रियां लगनी बंद हो गई और अब फैक्ट्री बेची जा रही हो। इन सबके बीच तस्वीरें और सूचनाओं के जरिए जानकारी जो उभर कर आ रही है वह बिल्कुल अलग है। रायबरेली जनपद के लालगंज में जब रेल कोच फैक्ट्री का लगना हुआ तो जनपद के लोग अपने भविष्य को लेकर बहुत खुश नजर आ रहे थे उन्हें उम्मीद थी कि आज नहीं तो कल जब फैक्ट्री अपने चरम पर होगी तो जनपद के काफी नौजवानों को रोजगार मिलेगा। लेकिन राजनीति ने उनको दुबारा से ठग लिया कांग्रेस की सरकार गई केंद्र में भाजपा की सरकार आई खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रायबरेली पहुंचे वह कहने से नहीं चूके फैक्ट्री बनाकर पेचकस से कसने का काम होता था। हम जब सत्ता में आए तो हमने फैक्टरी को मजबूती दी और रोजगार दिया। क्षेत्रीय कारोबारियों को करोड़ों रुपए का फायदा हुआ है बहरहाल वह उनका विश्लेषण था कैसे क्या हुआ यह तो धरातल में नहीं दिख रहा! लेकिन यह जरूर दिख रहा है कि गूगल मैप पर मौजूद रेल कोच सेक्शन पर क्षेत्रीय युवाओं के साथ हिंदुस्तान भर के नौजवान कमेंट करके पूछते हैं साहब हम बहुत परेशान हैं क्या इस कोच फैक्ट्री में रोजगार मिल सकता है? कोई कहता है उसके पास ट्रैक्टर है और गाड़ी है वह वहां पर चलवाना चाहता है क्या यह संभव? कोई अपनी गरीबी का जिक्र करता है और बताता है साहब जीवन जीना कठिन हो रहा है क्या कोई नौकरी मिल सकती है? लंबी फेहरिस्त है जिसे लोग लिख रहे हैं उनको लगता है कि यहां से लिखने पर फैक्ट्री का कोई जिम्मेदार उनकी बातों को सुनेगा उन्हें रोजगार मिल जाएगा लेकिन ऐसा है नहीं।

जनपद का कोई राजनेता नहीं करता युवाओं के भविष्य को लेकर फिक्र

यह जमीनी हकीकत भी है रायबरेली में आपको राजनीति की बातें मिलेंगी हर चाय की दुकान पर होटल पर रेस्टोरेंट में खड़े होकर लोग राजनीति में क्या होना चाहिए क्या नहीं इस बात का विश्लेषण तो जरूर करते हैं और राजनेता तो फिर राजनीति करेंगे ही। लेकिन कोई नहीं कहता की रायबरेली के युवाओं की भविष्य को लेकर क्या फिक्र होनी चाहिए उसका जिक्र कहीं नहीं होता। जिक्र इसका भी नहीं होता किस विधायक के क्षेत्र में कितने नवयुवक ऐसे हैं जो बेरोजगारी के दंश से जूझ रहे हैं! उनको लेकर भविष्य की रणनीति नहीं बनाई जाती कैसे उन्हें रोजगार से जोड़ा जाए कैसे राजनेता प्राइवेट फैक्ट्री में या फिर अन्य जगहों पर अपने क्षेत्र के युवाओं को मौके दे सकते हैं इसका भी जिक्र नहीं होता। जिक्र नहीं होता कि इस मुसीबत के समय जब रोजगार सिमट कर रह गए हैं तो आने वाली समय से कैसे लड़ा जाएगा? जिक्र और फिक्र इस बात की भी नहीं है नवयुवकों को कैसे सही मार्ग पर लाया जाए। ऐसा भी नहीं है कि राजनीति में ऐसे चेहरे नहीं है गौतबुद्धनगर नगर के एक भाजपा विधायक हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र के युवाओं से एक वेबसाइट बनवाकर रिज्यूम अपलोड करने की गुजारिश भी की है ताकि उन्हें रोजगार दिया जा सके। फिलहाल भविष्य को लेकर फिक्र ही की जा सकती है कभी ना कभी तो आएंगे अच्छे नेता !

93 views
Click