प्रतापगढ़। रामानुज आश्रम में जेष्ठ मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी बड़े मंगल पर आयोजित कार्यक्रम को जगदगुरु रामानुजाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री योगेश्वराचार्य पीठाधीश्वर इंद्रप्रस्थ नई दिल्ली परम पूज्य स्वामी रामानुजाचार्य एवं जेष्ठ मास के महात्म्य का वर्णन करते हुए कहा कि जेष्ठ मास में श्रीहरि को जल में पधरा कर उनका पूजन करना चाहिए। इससे मनुष्य प्रलय काल तक निष्पाप बना रहता है ।
पद्म पुराण के अनुसार जेष्ठ और आषाढ़ के समय तुलसी दल से वासित शीतल जल में भगवान धरणीधर की पूजा करना चाहिए। जो लोग जेष्ठ और आषाढ़ मास में नाना प्रकार के पुष्पों से जल में स्थित श्री केशव की पूजा करते हैं वह यम यातना से छुटकारा पा जाते हैं। भगवान श्री विष्णु को जल बहुत ही प्रिय है इसीलिए वह जल में शयन करते हैं। जल में शयन करने के ही कारण आपका नाम नारायण है। जो शालिग्राम शिला को जल में विराजमान कर के परम भक्ति के साथ उसकी पूजा करता है वह अपने कुल को पवित्र करने वाला होता है। जब तक इस पृथ्वी पर पर्वत लोक और सूरज की किरणें विद्दमान है तब तक उसके कुल में कोई नर्क गामी नहीं होता। जीवों के उद्धार के लिए शेष भगवान ने रामानुज स्वामी के रूप में कलयुग में अवतार लिया था।
उक्त अवसर पर धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास एवं नारायणी रामानुज दासी ने आपका एवं आपके संग पधारी हुई परम श्री वैष्णव जानकी रामानुज दासी का
पूजन अर्चन किया। अंगवस्त्रम एवं माल्यार्पण प्रदान करके सम्मानित किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से संतोष दुबे पूर्व सभासद अवंतिका पांडे डॉक्टर अंकिता पांडे विश्वम प्रकाश पांडे इं पूजा पांडे राजेश्वराचार्य रामानुज दास अनिरुद्धाचार्य रामानुज दास सुदर्शनाचार्य रामानुज दास सहित अनेक भक्त उपस्थित रहे। रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा
