पति को पतन से बचाए, वही पत्नी : पं. आनन्द भूषण

7359

इचौली. हमीरपुर। मौदहा क्षेत्र के बड़ी आबादी वाले गाँव नायकपुरवा इचौली प्रद्युम सिंह के हाते में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के छटवें दिन कथा व्यास पण्डित आनन्द भूषण महाराज ने कंस वध व रुकमणी विवाह के प्रसंगों का चित्रण किया।

कथा व्यास ने बताया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के प्रमुख कारण थे, जिसमें एक कारण कंस वध भी था। कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राह त्राह जब करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए।

कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा।

11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अकरुर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण, बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मारने का प्रयास किया, लेकिन वह सभी श्रीकृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए और अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी।

कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया, वही कंस के द्वारा अपने पिता उग्रसेन महाराज को भी बंदी बनाकर कारागार में रखा था, उन्हें भी श्रीकृष्ण ने मुक्त कराकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया।

उन्होंने बताया कि रुकमणी जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। वह विदर्भ साम्राज्य की पुत्री थी, जो विष्णु रूपी श्रीकृष्ण से विवाह करने को इच्छुक थी। लेकिन रुकमणी जी के पिता व भाई इससे सहमत नहीं थे, जिसके चलते उन्होंने रुकमणी के विवाह में जरासंध और शिशुपाल को भी विवाह के लिए आमंत्रित किया था।

जैसे ही यह खबर रुकमणी को पता चली तो उन्होंने दूत के माध्यम से अपने दिल की बात श्रीकृष्ण तक पहुंचाई और काफी संघर्ष हुआ।

युद्ध के बाद अंततः श्री कृष्ण रुकमणी से विवाह करने में सफल रहे। इस अवसर पर भागवत कथा मे सीरज सिंह चन्ना सिंह, चुन्नू सिंह कल्लू सिंह संतोष सिंह, जागेश्वर सिंह, संजय त्रिपाठी, कलाधर त्रिपाठी, सिसोलर क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य विपिन पांडे सहित बड़ी संख्या में श्रद्वालु मौजूद रहे।

  • एमडी प्रजापति
7.4K views
Click