महाशिवरात्रि पर बाबा बाल्हेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ा जन-सैलाब, भोलेनाथ का हुआ अम्रत जलाभिषेक

2630

हर हर महादेव बोल बम के जयकारों से गूंज उठा पूरा वातावरण

लालगंज रायबरेली- क्षेत्र के सुप्रसिद्ध बाबा बाल्हेश्वर महादेव मंदिर महाशिवरात्रि पर अराध्य शिवशंकर का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालु हर-हर महादेव, बोल बम के जयकारों के साथ बाबा बाल्हेश्वर महादेव की ओर बढ़ रहे हैं। श्रद्धालुओ के स्वागत के लिए जगह-जगह पंडाल सजाए गए हैं। आदर्श ऋषि आश्रम के महंत श्री सर्वेश्वर व्यास जी भक्तों के लिए फल, पेय पदार्थ और भोजन की व्यवस्था की गई है। मेले में आए सभी भक्तों ने जमकर चखा प्रसाद। बाबा बाल्हेश्वर मंदिर में हर किसी की मन्नतें पूरी होती है। पांच सौ साल से ज्यादा पुराने मंदिर में पूरे साल भक्तों का मेला रहता है। भोले के दर्शन के लिए गैर जनपद से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। बताते हैं कि 500 साल पहले मंदिर स्थल के चारों ओर जंगल ही जंगल था। यहां पर पास के गांव के लोग अपने-अपने जानवरों को चराने के लिए आया करते थे। ऐहार गांव के एक तिवारी परिवार की गाय एक चरवाहे के रेवड़ के साथ जंगल में चरने जाया करती थी। अचानक गाय ने दूध देना बंद कर दिया तो गाय के मालिक ने सोचा कि शायद चरवाहा चोरी से गाय का दूध निकाल लेता है, तभी गाय आजकल दूध नहीं देती। रंगे हाथों चोरी पकड़ने के लिए एक दिन गाय के मालिक ने जंगल की झाड़ियों में छुप कर बैठ गया। उन्होंने देखा की गाय एक झाड़ी में चली गई है और वहां लेट गई। उसके थन से दूध की धार बनकर बह रही है और पास उसी स्थान पर भूमि में बने एक छेद में जा रहा है। यह कारनामा देख गाय का स्वामी दंग रह गया और घर आ गया। उसी रात गाय के स्वामी को बालेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन हुए कि मैं यहां हूं, मूर्ति के पूजन हेतु एक मंदिर की स्थापना करवाओ। दूसरे दिन सुबह ही वह अपने परिवार के साथ स्वप्न की सच्चाई जानने के लिए उसी झाड़ी में गया। वहां खुदाई करने लगा तो खुदाई में उसे शिवलिंग प्राप्त हुआ।

अलौकिक शक्ति के साथ घूमता है गुंबद का त्रिशूल

लोग कहते हैं कि बाबा बाल्हेश्वर मंदिर के ऊपर बने गुंबद पर लगे त्रिशूल दिनभर सूर्य की गति के साथ साथ अपने स्थान पर घूमता है। सनातन श्रद्धा भक्ति और विश्वास के प्रति इस मंदिर में गैर जनपदों से भी लोग पूजा अर्चना करने को आते हैं। नववर्ष पर हजारों की संख्या में भक्त पैदल मंदिर पहुंचकर सुखी जीवन के लिए पूजन अर्चन करते हैं एवं अपने दिन की शुरुआत करते हैं ।

महाशिवरात्रि पर लगता है दो दिवसीय विशाल मेला

बाल्हेश्वर मंदिर परिसर में प्रति वर्ष सावन महीने एवं महाशिवरात्रि के पर्व पर विशाल मेला लगता है। जिसमें क्षेत्रीय सहित दूर दूर से लाखों शिव भक्त एवं श्रद्धालु आते हैं और लोग पूजन अर्चन के साथ मेले में घरेलू वस्तुओं की खरीदारी भी करते हैं। इस मेले में कानपुर, लखनऊ समेत अन्य जनपदों के व्यापारी भी यहां मेले में व्यवसाय करने आते हैं।

पंडित झिलमिल महराज करते हैं आरती

पंडित. झिलमिल महराज प्रतिदिन आरती करते हैं। आरती संगीत बद्ध तरीके से संपन्न होती है। वे बताते हैं बाल्हेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद सच्चे मन से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। जिसमें काफी संख्या में लोग प्रतिभाग कर पूजा अर्चना करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।

मंदिर परिसर में बने सरोवर में मछलियों को दाना खिलाते हैं शिव भक्त

मंदिर में बने तालाब में भक्त मछलियों को खिलाते हैं दाना मान्यता के अनुसार लोग अपने बच्चों का कर्ण वेधन संस्कार से लेकर मुंडन संस्कार तक कराते हैं। बालेश्वर मंदिर के तालाब की भी अलग-अलग मान्यता है। श्रद्धालु मछलियों को भोजन के लिए लईया, आटा की गोलियां ले जाकर खिलाते हैं। तालाब का पानी कभी नहीं सूखता है। पक्का तालाब होने के कारण नीचे तक सीढियां बनी है।

मेला सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद पुलिस और डलमऊ तहसील प्रशासन रहा चौकन्ना

मंदिर परिसर की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद इंतजाम किया गया कोतवाली पुलिस के साथ सशस्त्र सीमा बल चप्पे-चप्पे पर मुस्तैद रही मेले में आए सभी भक्तों और दुकानदारों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो मंदिर परिसर से लेकर मेले तक सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रहीं।

सन्दीप फ़िज़ा रिपोर्ट

2.6K views
Click