सूखे की आहट … मॉनसून फिर रूठा

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उर्द , मूंग और तिल की फसल हुई नष्ट

कुलपहाड़ ( महोबा )- आपदाओं से जूझ रहे क्षेत्रीय किसानों के लिए खरीफ की फसल भी मानसून की भेंट चढ गई है। उर्द , मूंग व तिल की फसलें जिन्हें बहुत ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती इसके वाबजूद पर्याप्त बारिश न होने के कारण ये नकदी फसलें भी खेत में ही नष्ट हो गईं हैं। जिसके कारण किसानों की लागत भी भी खेतों में मुरझा गई।हालात यह हैं कि एक बीघा में 1 किलो बीज भी नहीं निकल पा रहा है।वर्षा न होने के कारण रबी की फसल को लेकर भी किसान सशंकित हो गए हैं।
समूची कुलपहाड़ तहसील के अधिकांश गांवों में दलहन और तिलहन की फसल नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है। खरीफ की फसल में किसानों के द्वारा सबसे ज्यादा रकवा में उर्दू व तिल की फसल बोई गई थी जबकि थोडे से क्षेत्रफल में मूंगफली बोई गई थी। शुरुआत में किसानों को लगा था कि इस बार बम्पर पैदावार होगी। फसल की ग्रोथ भी अच्छी हो रही थी। लेकिन जब फूल लगने का मौसम आया तो मानसून दगा दे गया। मौसम की बेरुखी के कारण फसलों का फूल नष्ट हो गया। रही सही कसर कीटों व इल्ली का प्रकोप बढ़ने से पूरी हो गई। इल्ली के जोरदार प्रकोप के कारण फसलें पूरी तरह से चौपट हो गईं। सुगिरा के किसान कंधी यादव ने 30 बीघा खेत में उड़द की फसल बोई थी लेकिन जब उन्होंने हार्वेस्टर से मड़ाई कराई तो मात्र 20 बीघा उर्द निकला।कंधी के अनुसार अन्ना पशुओं से परेशान पूरा परिवार घर छोड़कर 3 महीने खेतों में पडा रहा लेकिन उत्पादन 20 किलो ही हुआ जबकि उन्होंने 45 किलो बीज बोया था. कंधी के अनुसार खेत को अगली फसल के लिए खाली कराना था इसलिए मजबूरी में हार्वेस्टर चलवाना पडा। जिसके एवज में उन्हें ₹20000 का भुगतान करना पडा। नंदराम , बृजराज , किशोरीलाल व देवीसिंह समेत अन्य किसानों ने बताया की फसल में मौसम और इल्ली के प्रकोप के कारण इस बार उपज न के बराबर होने की संभावना है। वही बारिश न होने के कारण रबी की फसल को लेकर किसान बेहद परेशान हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि सर्वे कराकर उन्हें फसल बीमा का लाभ दिलाया जाए।

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