इन श्रमिकों के लिए ये बन गई मसीहा… चारों तरफ हो रही इनके कार्य की तारीफ

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जहाँ एक ओर पूरा विश्व कोरोना जैसी बीमारी को लेकर आज परेशान है वही जो मजदूर दूसरे राज्यों में थे वे अपने घर जाने के लिए ट्रेन,बस,पैदल ,साईकिल से सफर कर रहे है हर तरह की तकलीफ को झेलते हुए इस उम्मीद से की हम जल्द स जल्द घर पहुँच जाए वही इन श्रमिको की मदद के लिए बहुत से समाजसेवी व आमजनता मदद को आगे आ रही है जिसका जीतता जागता उदाहरण सीतापुर जिले में देखने को मिला जहाँ समाजसेवी पूनम मिश्रा ने बताया कि आज जिस समय तेज बारिश हो रही थी तभी अचानक घर के बाहर तकरीबन पैंतीस लोग मय साइकिल सट्टा ठिठक कर खड़े हो गए ,वही ये कोई नई बात देखने को नही थी इससे पहले भी न जाने कितनी बार इससे ज्यादा भीड़ बाहर देखी थी और रुकती भी थी पर आज नजारा मे फरक था उनसे पूछने पर पता चला की ये सब गुजरात से पटना बिहार जा रहे हैं उन लोगो ने बताया कि वे सब पैतालीस दिन पहले ट्रेन से चले थे बरेली मे आकर ट्रेन रुक गई और फिर 42 दिन तक वहाँ रुके सभी के पास दस हजार रुपए उनकी जेब मे थे जिसके बाद उन लोगों ने पांच हजार रुपये का इतने दिनों में खाना खाये जिसके बाद बचे पाँच हजार में से चार हजार की नयी साइकिल सभी ने ले ली और 5किलो कच्चे चने और नमक बांधकर फ़िर निकल पड़े वतन की राह पर

और उन लोगो ने परेशानी में ये प्यारी बात कही

उन लोगों से पूनम मिश्रा ने परेशानी के बारे में जानना चाहा तो उन लोग इतनी प्यारी बात कही की मन द्रवित हो गया उन लोगों ने कहा कि न मालिक से शिकायत है न सरकार से बस बिना काम के मन नहीं लग रहा था वतन की याद आयी और ये सोचकर कि अगर मरना ही है तो अपनोँ के बीच जाकर सबको देखकर मरेंगे ।

माँ जी दो दो कप चाय मिल जाती…..

पूनम मिश्रा जी ने बताया कि सब बारिश से भीगे हुए थे सो तुरंत चाय पिलाने की व्यवस्था करवाई चाय पीने के बाद सभी के चेहरों में ताजगी महसूस होती दिखी तो फिर उन्होंने कहा कि तकलीफ़ न हो तो मां दो दो कप चाय पिला दीजिए और फिर चाय पीने के बाद एक टीम कुछ लोगों के साथ आगे बढ़ गई दस लोग घर के पास ही रुक गए जिसके बाद उन सभी के लिए पूनम मिश्रा द्वारा खिचडी बनवाई ।सबने बहुत प्यार से भोजन किया मुझे झुककर मां कहकर प्रणाम किया …..और फिर रात को लगभग 3 बजे बिसवा होते हुए आगे इस उम्मीद से निकल गए कि अगली सुबह हम अपने घर पर सभी के साथ होंगे।

पूनम मिश्रा

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