नवाबगंज-ग्रामसभा के पूरे बनिया पुरवा गांव के विपिन सिंह बने लोको पायलट,ग्रामीण युवाओं के लिए बने प्रेरणा स्रोत
रायबरेली पॉलिटेक्निक से लेकर पश्चिम बंगाल चयन तक विपिन की मेहनत ने लिख दी प्रेरणा की कहानी
…..किसान परिवार के बेटे बिपिन ने कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई पूरी कर बनाया लोको पायलट बनने का सपना सच
….डिप्लोमा के बाद की तैयारी, परिश्रम और लक्ष्य ने दिलाया पश्चिम बंगाल से चयन
रायबरेली-अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत निरंतर, तो कोई भी मंज़िल असंभव नहीं। विपिन की इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि सीमित साधनों में भी अगर संकल्प मजबूत हो तो सफलता दूर नहीं रहती। उन्होंने इसे सच करके दिखाया है। ब्लॉक क्षेत्र के ग्रामसभा नवाबगंज के पूरा बनिया पुरवा गांव निवासी 30 वर्षीय विपिन सिंह ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, अनुशासन और अथक परिश्रम के बल पर पश्चिम बंगाल से लोको पायलट पद पर चयन पाकर न सिर्फ अपने माता पिता व परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र सहित जिले का नाम रोशन किया है। जिले के अति प्राचीन शिक्षा मंदिर जगतपुर क्षेत्र में अमर सेनानी राणा बेनी माधव सिंह की जन्मभूमि कर्मभूमि में 1964 से संचालित इंटर कॉलेज शंकरपुर के संस्थापक रहे स्व. ठाकुर शिव बक्श सिंह के सुपौत्र विपिन सिंह ने अपने परिवार का नाम रोशन किया है। सादगी, संघर्ष और शिक्षा को सर्वोच्च मानने वाले इस परिवार की परंपरा को विपिन ने नई ऊँचाई पर पहुंचाया है। विपिन की प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय पूरे बनिया में हुई। आगे चलकर उन्होंने राना बेनी माधव सिंह स्मारक इंटर कॉलेज, शंकरपुर (जगतपुर) से इंटरमीडिएट की परीक्षा में तीसरा स्थान प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का स्पष्ट परिचय दिया। इंटर के बाद आर्थिक परिस्थितियों के कारण सामने आई चुनौतियों से विचलित हुए बिना उन्होंने रायबरेली पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा किया और वहीं से तकनीकी शिक्षा का मजबूत आधार तैयार किया। डिप्लोमा के बाद विपिन ने अपने लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए लगातार रेलवे की तैयारी की और दिन-रात परिश्रम करते हुए खुद को इस दिशा में ढाला।उनकी मेहनत रंग लाई और पश्चिम बंगाल से लोको पायलट के पद पर चयन होकर उन्होंने अपने सपने को हकीकत बना दिया। परिणाम घोषित होते ही गांव में खुशी की लहर दौड़ गई, वहीं परिवार में उत्साह का वातावरण है।विपिन पहले से ही ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के बीच प्रेरक भूमिका निभाते रहे हैं। वे पढ़ाई के दौरान फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित जैसे कठिन विषयों में छात्रों को ट्यूशन पढ़ाते थे। उनकी लगन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज उनके पढ़ाए हुए दर्जनों छात्र सरकारी व अर्द्धसरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं। पिता भानु प्रताप सिंह ने इसे ईश्वर की कृपा और बेटे की अनवरत मेहनत का श्रेष्ठ परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि बेटियां भाग्य के द्वार खोलती हैं। विपिन की शादी जब तय हुई, तब वह बेरोजगार थे। आज उनकी सफलता पूरे परिवार के लिए शुभ संकेत है। दादा सूर्यभान सिंह, जो आईटीआई लिमिटेड से सेवानिवृत्त हैं। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि उनके पूर्वजों के आशीर्वाद और विपिन भतीजे के कठोर परिश्रम व निष्ठा का फल है। विपिन का लोको पायलट में चयन होना परिवार को गौरवान्वित किया है। बताते चलें कि इस परिवार में हर सदस्य मेहनत को ही सर्वोच्च मानता है, इसका जीता जागता उदाहरण है कि इस परिवार में सूर्यभान सिंह के तीन बेटे और एक बेटी सरकारी सेवा में पहले से कार्यरत हैं। विपिन के बड़े भाई आज़ाद सिंह लखनऊ एयरपोर्ट में कार्यरत हैं, दूसरे भाई अजीत सिंह चंडीगढ़ में नौकरी करते हैं, जबकि सबसे छोटे भाई विनय सिंह महाराष्ट्र के एनएचएआई कंस्ट्रक्शन डिवीजन में सिविल इंजीनियर हैं। विपिन की भतीजी आस्था, जो इंटर की मेधावी छात्रा है, ने कहा कि वह अपने चाचा की मेहनत से प्रेरित होकर अपने भविष्य की तैयारी कर रही है।विपिन सिंह की यह उपलब्धि न सिर्फ परिवार और गांव के लिए गर्व का विषय है, बल्कि उन सभी ग्रामीण युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित साधनों के बावजूद बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं।
अनुज मौर्य/एडवोकेट मनीष श्रीवास्तव रिपोर्ट


