फैक्ट्रियों के चक्के कैसे घूमें, असमंजस में अफसर

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रायबरेली : लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्रियां, दुकानें और विभिन्न प्रतिष्ठान खोलने को लेकर सरकारी अफसरान अभी असमंजस में हैं। ग्रामीण इलाकों व इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्रियां खोले जाने की अनुमति तुरंत देने की बात कही जा रही है। मगर, दुकानें खुलेंगी या नहीं, इसका जवाब नहीं दिया जा रहा है। इसको लेकर फैक्ट्री मालिक भी पशोपेश में हैं कि कच्चा माल लाना और तैयार माल डिलीवर करने की व्यवस्था बने, तब तो फैक्ट्री खोली जाए।रायबरेली के आसपास के जनपद अमेठी, सुलतानपुर और प्रतापगढ़ में फैक्ट्रियों संग दुकानें खोले जाने की अनुमति प्रशासन ने दे दी है। मगर, यहां पर अभी स्पष्ट गाइड लाइन जारी नहीं हुई है। फैक्ट्रियां खोले जाने के बाबत बताया गया कि ग्रामीण इलाकों और इंडस्ट्रियल में इन्हें खोला जा सकता है। बशर्ते केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का अनुपालन करने के संबंध में एक शपथ पत्र एडीएम वित्त एवं राजस्व के कार्यालय में दिया जाए। इस पर तुरंत अनुमति दी जाएगी। कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज और लखनऊ सहित विभिन्न जनपदों से कच्चा माल लाने के लिए कैसे करेंगे। इस पर बताया गया कि वाहन पास दिया जाएगा।

स्थानीय स्तर पर मौरंग, सीमेंट सहित अन्य दुकानों और प्रतिष्ठानों को खोला जाएगा या नहीं, या फिर कब तक खोला जाएगा। इसका जवाब अफसर टाल गए। उधर, छोटी, मध्यम व बड़ी इंडस्ट्रियों के मालिक इसी वजह से घर बैठे हैं। उनका तर्क है कि पहले कच्चा माल लाने की व्यवस्था हो। फिर उसे बेचने के लिए दुकानें खुलनी चाहिए। नहीं तो हम माल बनाकर फैक्ट्री में तो जमा करेंगे नहीं। उनकी इस समस्या का प्रशासन द्वारा अब तक स्पष्ट निदान नहीं किया जा सका है। इसी के चलते अभी भी अधिकांश फैक्ट्रियों में ताले लटके हुए हैं।

50 फीसद कर्मचारियों के साथ फैक्ट्री खोली जा सकती है, बशर्ते वे रेड जोन में न हों। ग्रामीण और इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री खोलने के लिए तुरंत अनुमति दी जाएगी। संबंधित व्यवसाय से जुड़ी दुकानें खुलेंगी या नहीं, इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

प्रेम प्रकाश उपाध्याय, एडीएम वित्त एवं राजस्व

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