उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने अपेक्षित राजस्व लक्ष्यों को किया प्राप्त

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इलेक्ट्रीक मोबिलिटी, वाहन पंजीकरण और डिजिटल सेवाओं के क्षेत्र में भी ठोस परिणाम किये दर्ज।

    लखनऊ
    उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग की पहली तिमाही (अप्रैल–जून 2025) रिपोर्ट जारी: राजस्व, पंजीकरण और ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में बहुआयामी प्रगति

    वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने न केवल अपेक्षित राजस्व लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सशक्त प्रगति की, बल्कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, वाहन पंजीकरण और डिजिटल सेवाओं के क्षेत्र में भी ठोस परिणाम दर्ज किए। यह तिमाही विभाग के लिए ‘प्रदर्शन’ से आगे बढ़कर ‘परिवर्तन’ की दिशा में बढ़ा एक ठोस कदम साबित हुई। वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही ने यह सिद्ध कर दिया है कि उत्तर प्रदेश अब केवल लक्ष्य आधारित विभागीय प्रदर्शन से आगे बढ़कर संरचनात्मक रूप से परिपक्व परिवहन प्रशासन की दिशा में तेज़ी से अग्रसर हो चुका है। राजस्व, ई-मोबिलिटी, वाहन पंजीकरण और डिजिटल अनुपालन — सभी स्तरों पर विभाग ने ऐसी प्रवृत्तियाँ दर्ज की हैं, जो केवल शासन की सफलता नहीं, बल्कि जन-प्रेरित व्यवहारिक बदलाव को भी दर्शाती हैं।

    राजस्व में निरंतर वृद्धि, लक्ष्य की दिशा में सशक्त रफ्तार

    अप्रैल से जून की तिमाही में कुल ₹2913.78 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में ₹274.22 करोड़ अधिक है अर्थात 10.39% की वृद्धि। यह उल्लेखनीय है कि विभाग ने इस दौरान क्रमिक लक्ष्य का 85.90% पूर्ण कर लिया है, जिससे यह स्पष्ट है कि वर्षांत तक ₹14,000 करोड़ का वार्षिक लक्ष्य व्यवहारिक रूप से प्राप्त किया जा सकता है।

    जून माह मे अकेले ₹830.15 करोड़ का राजस्व अर्जित हुआ, जो पिछले वर्ष जून की तुलना में 4.10% अधिक है। यह वृद्धि तब दर्ज हुई जब विभाग ने कई श्रेणियों में छूट, विशेषकर ई-वाहनों पर टैक्स रिबेट प्रदान किए और पूरा जून महीना स्थानांतरण सत्र के रूप में रहा।
    ई-मोबिलिटी में उत्तर प्रदेश की निर्णायक छलांग
    प्रथम तिमाही में 70,770 इलेक्ट्रिक वाहनों को कर एवं शुल्क में ₹255.50 करोड़ की रियायत दी गई। यह स्पष्ट संकेत है कि प्रदेश नीतिगत दृष्टि से ही नहीं, सार्वजनिक व्यवहार स्तर पर भी ईवी क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। 70,770 ई-वाहनों को जो लाभ प्राप्त हुआ, जिसमें न केवल पारंपरिक श्रेणियाँ (ई-रिक्शा, थ्री-व्हीलर) शामिल थीं, बल्कि 5,658 इलेक्ट्रिक कारें और 15,434 दोपहिया वाहन भी शामिल रहे।
    यह आँकड़ा यह दर्शाता है कि ईवी अब सिर्फ लो-एंड समाधान नहीं, बल्कि मिड और अर्ध-प्रिमियम शहरी ग्राहकों का भी प्राथमिक विकल्प बन चुका है।अकेले जून माह में 23,513 ई-वाहनों को ₹94.70 करोड़ की रियायत प्रदान की गई।अब तक प्रदेश में कुल 12.29 लाख इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा EV-बेस वाला राज्य बनता जा रहा है।
    यह केवल तकनीकी परिवर्तन नहीं, बल्कि उपभोक्ता की मानसिकता में एक स्पष्ट वैचारिक बदलाव है। यह रुझान न केवल पर्यावरणीय अनुकूलन को दर्शाता है, बल्कि आर्थिक रूप से भी एक मजबूत EV इकोसिस्टम का संकेत देता है।

    वाहन पंजीकरण में उत्साहजनक वृद्धि: निजी और व्यावसायिक दोनों क्षेत्र अग्रणी

    इस तिमाही में कुल 11,77,74 नए परिवहन वाहन पंजीकृत हुए, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 16.04% वृद्धि देखी गई। इनमें ई-रिक्शा (पैसेंजर) में 10.82% और ई-कार्ट में 80.26% वृद्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।

    नॉन-ट्रांसपोर्ट वाहनों में भी तेज़ी देखी गई — 9,67,476 पंजीकरण, जो कि 12.41% की वार्षिक वृद्धि है। टू-व्हीलर वर्ग में 13.73% और फोर व्हीलर में 6.09% की वृद्धि के साथ नागरिकों की खरीद क्षमता और वाहन उपयोग में वृद्धि स्पष्ट होती है। ट्रांसपोर्ट श्रेणी में ई-कार्ट और ई-रिक्शा में निरंतर वृद्धि, यह संकेत करता है कि अब वाहन केवल आवागमन के साधन नहीं बल्कि सामाजिक गतिशीलता, आजीविका और वर्गीय आकांक्षा का भी प्रतिनिधित्व करने लगे हैं।

    डिजिटल भुगतान और पारदर्शी सेवाओं का सशक्त क्रियान्वयन

    प्रथम तिमाही में विभाग की कुल कर व शुल्क वसूली का 90% से अधिक ऑनलाइन मोड के माध्यम से हुआ, जो यह दर्शाता है कि जनता अब डिजिटल प्रक्रियाओं पर भरोसा कर रही है। ड्राइविंग लाइसेंस सेवाओं से ही ₹84.50 करोड़ की प्राप्ति हुई, और ई-चालान एवं समन शुल्क से ₹30.45 करोड़ वसूले गए — जो प्रभावी प्रवर्तन व टेक-इनेबल्ड प्रशासन की पुष्टि करते हैं। 90% से अधिक कर व शुल्क वसूली डिजिटल मोड से होना केवल आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर की सफलता नहीं है, बल्कि नागरिकों के डिजिटल प्रशासन पर बढ़ते विश्वास का संकेत है।
    तकनीक आधारित प्रवर्तन अब व्यवहार में आ चुका है, न कि केवल कागज़ी व्यवस्था में।

    राजस्व की संरक्षित वृद्धि के साथ सुधारोन्मुख छूट नीति

    जहाँ एक ओर विभाग ने ई-वाहनों के लिए ₹255.50 करोड़ की छूट दी, वहीं दूसरी ओर कुल राजस्व में 10.39% की वृद्धि दर्ज की — यह संकेत है कि राज्य ने ‘छूट के बावजूद स्थिर राजस्व’ का मॉडल सफलतापूर्वक अपनाया है।
    यह रुझान इस बात का प्रमाण है कि कर प्रणाली अब केवल दंडात्मक नहीं, बल्कि प्रोत्साहन आधारित और लचीली बन रही है।

    परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने बताया की

    “यह तिमाही प्रदर्शन केवल राजस्व या आंकड़ों की कहानी नहीं है — यह एक शासन मॉडल की कहानी है, जिसमें नीति, प्रौद्योगिकी, पारदर्शिता और जनसहभागिता चारों स्तंभों पर तेज़ी से काम हो रहा है। उत्तर प्रदेश अब परिवहन के हर क्षेत्र में एक मॉडल राज्य के रूप में उभर रहा है।”यह तिमाही प्रदर्शन यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश में परिवहन केवल विभागीय सेवा नहीं रह गई, बल्कि यह एक व्यापक सार्वजनिक संस्कार बन चुका है — जहाँ नीति, प्रौद्योगिकी और जन-भागीदारी मिलकर सामाजिक प्रगति को गति दे रहे हैं।

    सुधीर त्रिवेदी रिपोर्ट

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