जिमी के जन्म दिन पर विशेष

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1983 विश्व कप की जीत बिल्ली के भाग्य से छींका टूटना नहीं थी – मोहिंदर अमरनाथ

राकेश कुमार अग्रवाल

आज देश में जो क्रिकेट फीवर है. उसे वायरल करने का श्रेय तो तमाम खिलाडियों को जाता है . लेकिन उन तमाम नामों में एक नाम और एक परिवार भी शामिल है . 1983 क्रिकेट विश्व कप का फाईनल मुकाबला दो बार की विश्व विजेता वेस्ट इंडीज से था. महज 183 रन पर भारत की टीम ढेर हो गई थी . क्रिकेट पंडित भी वेस्टइंडीज की एकतरफा जीत की भविष्यवाणी कर रहे थे तब जिस खिलाडी ने मैच का पासा पलटा था उसका नाम है मोहिंदर अमरनाथ . 7 ओवर में 12 रन देकर 3 महत्वपूर्ण विकेट हासिल करने वाले मोहिंदर अमरनाथ ने टीम की ओर से सर्वाधिक 26 रन भी बनाए थे . उनके आलराउण्ड प्रदर्शन का ही कमाल था कि भारत ने फाईनल मुकाबले में वेस्टइंडीज को 43 रन से हराकर विश्वकप अपनी झोली में डाला था .

मोहिंदर अमरनाथ आज 70 वर्ष के हो रहे हैं . जिमी के नाम से मशहूर मोहिंदर का पूरा परिवार ही लगता है क्रिकेट के लिए जन्मा था . उनके पिता लाला अमरनाथ आजादी के बाद भारतीय टीम के पहले कप्तान बने थे . भारत की ओर से शतक जडने वे पहले बल्लेबाज थे . मोहिंदर के छोटे भाई सुरिंदर अमरनाथ ने देश के लिए दस टेस्ट मैच व तीन वन डे मैच खेले . सबसे छोटे भाई राजेन्द्र अमरनाथ ने रणजी ट्राफी समेत 36 प्रथम श्रेणी के मैच खेले . वे एक अच्छे कमेंट्रेटर भी रहे हैं .

मोहिंदर अमरनाथ ने देश के लिए 69 टेस्ट मैच व 85 वन डे मैच खेले .

1993 में मोहिन्दर अमरनाथ उदयपुर आए थे तब मैंने उनका इंटरव्यू किया था . मैंने मोहिंदर से पहला सवाल यही पूछा था कि जब आप लोग 1983 का विश्व कप खेलने इंग्लैण्ड जा रहे थे तब क्या किसी ने ये सोचा था कि टीम विश्व विजेता भी बन सकती है. तब मोहिन्दर अमरनाथ ने कहा था कि कुछ मैच जीत जाएं बस यही सपना लेकर रवाना हुए थे . क्योंकि 1975 और 1979 दोनों विश्वकप में भारत का प्रदर्शन दयनीय रहा था . उनके अनुसार जिम्बाब्बे के खिलाफ मैच में कपिलदेव के ऐतिहासिक प्रदर्शन से हारा हुआ मैच जीतने के बाद टीम में सभी को लगने लगा था कि हम लोग टूर्नामेंट में बडा उलटफेर कर सकते हैं .
विश्व कप में मिली जीत को क्या बिल्ली के भाग्य से छींका टूटना कह सकते हैं. इस पर जिमी ठठाकर हँसे थे . और बोले थे कि सेमीफाईनल जीतने के बाद फाईनल मुकाबला क्लाइव लायड , विवियन रिचर्डस की टीम से था . वेस्टइंडीज की टीम इतनी सशक्त मानी जाती थी जो किसी भी टीम के परखच्चे उडाने में सक्षम थी . सभी यही सोच रहे थे कि फाईनल एकतरफा होगा . और भारत बुरी तरह हारेगा . लेकिन हम लोगों के दिमाग में केवल एक ही बात थी कि हम लोगों के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है और पाने के लिए जहां है . इसलिए आखिरी गेंद तक मैच को गिव अप नहीं करना है . मेरी गेंदबाजी सटीक रही और वो दवाब जो हम पर था लगातार गिर रहे विकेट के चलते देखते ही देखते वेस्टइंडीज पर आ गया था . इसके बाद तो वेस्टइंडीज टीम का पतझड शुरु हुआ और हम लोग 43 रन से जीत गए . मोहिन्दर अमरनाथ के अनुसार विश्व कप में मिली जीत तुक्का नहीं थी न ही इसे बिल्ली के भाग्य से छींका टूटना कहिए . भारत इक्का दुक्का मैचों को छोड दीजिए तो पूरे विश्व कप में चैंपियन की तरह खेली थी .

मोहिन्दर अमरनाथ को फाइनल में शानदार प्रदर्शन करने पर मैन आफ द मैच अवार्ड से नवाजा गया था .
1983 विश्व कप विजेता बनने के बाद पूरी तरह से भारतीय क्रिकेट बदल गई . टीम ने पीछे मुडकर नहीं देखा .

मोहिन्दर जी आप भी भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अमर हो गए हैं . आपको 70 वें जन्मदिन की ढेरों बधाइयाँ ! आप स्वस्थ रहें , दीर्घायु हों .

Rakesh Kumar Agrawal

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