‘दीदी’ से उम्मीदें टूटी तो अब ‘महाराज’ से आस, कब होगी ‘घर’ वापसी

520

इनपुट – फैज़ अब्बास

रायबरेली। पश्चिम बंगाल से आकर यूपी के रायबरेली में काम कर रहे फेरी लगाकर अपना गुजर बसर करने वाले 14 फेरीवाले अब अपने घर जाने की आस लगाए हुए हैं। ममता बनर्जी से उम्मीदे थी कि वो इन्हें जल्द वापस बुलाएंगी लेकिन उम्मीद की रौशनी जब मद्धम पड़ने लगी तो इन्हें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से उम्मीद जगी है। लाकडाउन की वजह से ये लोग रायबरेली में ही फंस गए थे। इन्हें उम्मीद है कि यूपी सरकार इन्हें जल्द अपने गांव भेज देंगी।

पश्चिम बंगाल के अलग-अलग जिलों से आकर यूपी के रायबरेली में फेरी लगाकर यह लोग अपना गुजर-बसर कर रहे थे। शहर के बड़ा घोसियाना में किराए के मकान में राह रहे इन लोगों का काम धंधा लॉक डाउन के बाद छूट गया और यह लोग बेरोजगार हो गए। 6 हफ्तों से यह घरों में कैद हैं और इनके रोजगार का जरिया खत्म हो गया है। सरकार और प्रशासन ने इनकी कोई मदद नहीं की है जो भी मदद हुई है वह स्थानीय समाजसेवियों ने की है। अब यह फेरीवाले अपने घर जाना चाहते हैं ताकि अपने परिवार के साथ वक्त बिता सके। फेरीवाले मोहितोष विश्वास का कहना है कि इनके पास पश्चिम बंगाल की सरकार का कोई हेल्प लाइन नंबर नही है हालांकि इनके गांव के सरपंच इनके नाम और पते इनके घर से ले गया था। बताया था कि जल्द ममता दीदी की सरकार इन सभी को घर बुला लेगी पर कई दिन बीत गए कुछ नही हुआ। अब इन्हें योगी सरकार से उम्मीद है।

6 हफ्तों से बेरोजगार बैठे इन लोगो के घर के चूल्हे अक्सर ठंडे ही पड़े रहते हैं और बर्तन खाली रहते हैं। मुख्यमंत्री के श्रमिकों को उनके गांव भेजने के फैसले से इन्हें उम्मीद जगी है लेकिन यह जानते नहीं है कौन सी ट्रेन कौन सी बस इन्हें अपने गांव लेकर जाएगी। एक स्थानीय व्यक्ति के जरिए इन्होंने स्थानीय चौकी इंचार्ज को अपना आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज दे दिया है ताकि जनसुनवाई पोर्टल के जरिए यह अपने घर जा सके। लेकिन ये कब तक घर जाएंगे इनको नही पता।

फेरीवाले मोहम्मद जियाउल खान का कहना है कि उनके पास काम नही है यहां रहेंगे तो भूखे मर जायेंगे इससे अच्छा है कि घर जाकर मरे।

इस समस्या पर जब स्थानीय प्रशासन को अवगत कराया गया तो उन्होंने तुरंत ऐक्शन लेते हुए इनके नाम जन सुनवाई पोर्टल पर दर्ज कराने के लेखपाल को निर्देश दिया है। एडीएम प्रशासन राम अभिलाष का कहना है कि इनको घर भेजने की व्यवस्था प्रशासन कर रहा है

सरकार ने जनसुनवाई पोर्टल लांच किया है ताकि दूसरे राज्यों के मजदूर जो यूपी में रह रहे हैं अपने घर को जा सके । ट्विटर पर इनका खूब प्रचार प्रसार भी हो रहा है। लेकिन अफसोस यह है कि तमाम मजदूर मोबाइल और ट्विटर का इस्तेमाल करना नहीं जानते। मीडिया ने मामला उठाया तो सोया हुआ प्रशासन नींद से जाग गया और आनन फानन लेखपाल को निर्देशित कर इनके नाम जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज कराने की कवायद शुरू कर दी है।

520 views
Click