नहीं रहे हास्य रस जनकवि भानु प्रताप सिंह भयंकर, साहित्य प्रेमियों में शोक की लहर

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अयोध्या। कविता की सभी विधा में पारंगत 84 वर्षीय वयोवृद्ध जन कवि एवं साहित्यकार भानु प्रताप सिंह भयंकर जी का मंगलवार शाम घर पर ही जनपद के बीकापुर ब्लॉक असरेवा में हार्ट अटैक से निधन हो गया है।

अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक कुप्रथाओ और राजनीतिक विषमताओं पर प्रहार करने वाले भानु प्रताप भयंकर जी कविता के हर विधा हास्य रस, शृंगार रस और वीर रस सहित सभी विधाओं में पारंगत थे। तथा अवधी भाषा में उनकी कविताएं आम जनमानस में अपनी अमिट छाप छोड़ती थी। जहां एक तरफ उनकी कविताओं में किसानों और मजदूरों के लिए वेदना है तो वहीं दूसरी तरफ कई रचनाओं में अपनी कविता के माध्यम से व्यवस्था पर प्रहार करते हुए कटाक्ष भी किया है।

अपने श्रृंगार रस की कविताओं में प्रकृति और बसंत ऋतु का सुंदर वर्णन किया है तो हास्य रस की कविताओं के माध्यम से लोगों को गुदगुदाया भी है। कवि सम्मेलन का मंच भानु प्रताप सिंह भयंकर के बगैर अधूरा माना जाता था। साहित्य क्षेत्र के अलावा वह समाज सेवा एवं राजनीति से भी जुड़े रहे हैं। बीकापुर विधानसभा से विधानसभा का चुनाव भीं लड़ चुके हैं।

उनकी कविताओं की रचनाएं भी प्रकाशित हुई हैं। उनकी कविताएं “किसनवा खेतवा में खड़ा ललकारे” तथा “अब का कहीं तुहका सजना, तुहसे तो भला बिस्मिल्ला आहै” यहां बासी जिलेबी में बाझा अहा, घरे ताजा धरा रसगुल्ला अहै” जैसी रचनाएं कई लोगों के दिलों दिमाग में बसी हुई है। दीन दुखियों के लिए उनके अंदर सेवा का समर्पित भाव भी था।

उन्होंने यूपी धक-धक के नाम से यूट्यूब चैनल भी बनाया था। कवि भानु प्रताप सिंह भयंकर के निधन की जानकारी होने के बाद उनके चाहने वालों में शोक की लहर छा गई। अपने पीछे वह भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।

  • मनोज कुमार तिवारी
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