प्रवासी मज़दूरों का सड़कों पर पैदल चलना बदस्तूर जारी

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सरकारी वादों इरादों पर प्रश्न चिन्ह? रायबरेली में सिविल लाइन पर दिखे प्रवासी मजदूर

रायबरेली– मजदूरों के लिए बस मिल जाए इस पर सियासी संग्राम मच गया उत्तर प्रदेश की सरजमी राजनीति से लबालब भरी नजर आई।तो दूसरी तरफ रायबरेली के सिविल लाइन में प्रवासी मजदूरों का एक परिवार दिखा जो पैदल सफर ऊंचाहार की तरफ कर रहा था। फिर क्या था खुल गई पोल उस सिस्टम की जिसने बताने और समझाने की कोशिश की है कि अब सब जगह रामराज आ गया है । छोटे-छोटे बच्चे और घर गृहस्ती का सामान लेकर अपने घर लौट आया परिवार जैसे तैसे रास्तों का सफ़र करके रायबरेली सदर के सिविल लाइन पहुंचा। पत्रकारों की निगाह परिजनों पर पड़ी यह देख थोड़ी देर में वहां पर पुलिस भी पहुंच गई कहीं सच फैल ना जाए। अपनी तरफ से पुलिस ने जानकारी ली गई और उन्हें किसी वाहन में बैठाया गया।

बीते दिनों एक हजार बस संचालन को लेकर प्रियंका गांधी ने किया था ऐलान

बीते ही दिनों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ऐलान किया था कि वह अपने खर्च पर उत्तर प्रदेश में 1000 बस संचालन कराना चाहती हैं। लेकिन राजनीति में समस्या यह थी कि श्रेय किसी दूसरे को चला जाता ऐसे में उत्तर प्रदेश की सरकार ने बस संचालन को लेकर रजामंदी नहीं दिखाई और आज बसे राजस्थान बॉर्डर से वापस हो गई। बसे वापस होते ही सबसे बड़ा धक्का तो उन प्रवासी मजदूरों को लगा है जिन्होंने सोच लिया था कि अब उन्हें बस मिल जाएगी और वह अपने आगे के सफर को आसानी से तय कर लेंगे। उत्तर प्रदेश मे विगत दिनों कई ऐसी तस्वीरें वायरल हुई जो मानवता को झकझोर कर रख देने वाली थी। लेकिन मजदूरों का दर्द सियासत को नहीं दिखता खासतौर पर उत्तर प्रदेश की सियासत को पन्नों में तो बड़े-बड़े वादे और इरादे लेकर उत्तर प्रदेश सरकार या दिखाने की कोशिश कर रही है कि उसने रामराज ला दिया है अब कोई उत्तर प्रदेश में दिक्कत में नहीं है लेकिन असल तस्वीरें आनी शुरू हो गई हैं और वह बदस्तूर जारी है।

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