शतचंडी महायज्ञ में छठवें दिन श्री कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन

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मौदहा(हमीरपुर)

मौदहा विकासखंड के ग्राम इचौली में 26वें शतचंडी महायज्ञ में छठवें दिन श्री कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। जानकारी देते हुए कमेटी के सदस्य पूर्व सैनिक कैप्टन श्यामबाबू गुप्ता (गोवा) ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी श्रीमद् भागवत प्रगट उत्सव बड़ी श्रद्धा धूम धाम से मनाया जा रहा हैं।
भागवताचार्य पण्डित राजकुमार बाजपेयी ने छठवें दिन की कथा में कहा कि
महाराज भीष्म अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका पुत्र रुक्मणी राजी नहीं था। वह रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। रुक्मिणी इसके लिए जारी नहीं थीं। विवाह की रस्म के अनुसार जब रुक्मिणी माता पूजन के लिए आईं तब श्रीकृष्णजी उन्हें अपने रथ में बिठा कर ले गए। तत्पश्चात रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ हुआ। ऐसी लीला भगवान के सिवाय दुनिया में कोई नहीं कर सकता। पण्डित राजकुमार बाजपेयी जी ने कहा कि भागवत कथा ऐसा शास्त्र है। जिसके प्रत्येक पद से रस की वर्षा होती है। इस शास्त्र को शुकदेव मुनि राजा परीक्षित को सुनाते हैं। राजा परीक्षित इसे सुनकर मरते नहीं बल्कि अमर हो जाते हैं। प्रभु की प्रत्येक लीला रास है। हमारे अंदर प्रति क्षण रास हो रहा है, सांस चल रही है तो रास भी चल रहा है, यही रास महारास है इसके द्वारा रस स्वरूप परमात्मा को नचाने के लिए एवं स्वयं नाचने के लिए प्रस्तुत करना पड़ेगा, उसके लिए परीक्षित होना पड़ेगा। जैसे गोपियां परीक्षित हो गईं। इस दौरान कृष्ण-रुक्मिणी की आकर्षक झांकी बनाई गई। जिनके दर्शन करने भक्तजन भाव विभोर हो गए।
शुकदेव जी बोले राजन एक दिन इंद्र ने द्वारका में आकर भगवान से कहा प्रभु भूमि का पुत्र नरकासुर प्रजा को बड़ा कष्ट दे रहा है। उसने सुर असुर, गंधर्व और राजाओं की कन्याएं अपहरण कर अपने घर में बंद कर रखी है। वरुण का छत्र अदिति के कुंडल एवं देवताओ का क्रीडास्थल मणिपर्वत भी उसने बल पूर्वक छीन लिया।मौके पर रामपाल साहू प्रधान नायाकपुरवा, आलोक यादव प्रधान इचौली, रामविशाल,रामौतार, शिवमंगल तिवारी ,सन्तोषसिंह,गयाप्रसाद लेखपाल,अमन सिंह,हर्षराज सिंह,चून्नू सिंह,जागेश्वर सिंह,आदि श्रद्धालुओं ने भागवत कथा का आनंद लिया।

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