साध्वी कात्यायिनी ने पयस्वनी के जागरण के लिए किया मातृ शक्ति का आवाह्न

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साध्वी कात्यायिनी को सम्मानित करते पूर्व प्रधान अशोक त्रिपाठी

मानस मंथन अनुष्ठान (द्वितीय दिवस)
-साध्वी कात्यायिनी

चित्रकूट। श्रीकामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर स्थित ब्रहमकुंड के शनि मंदिर प्रांगण पर आयोजित मानस मंथन अनुष्ठान के द्वितीय दिवस साध्वी कात्यायिनी ने मातृशक्ति का आवाहन करते हुए कहा कि अगर मातृ शक्ति अपने बेटों को सबल और समर्थवान बना सकती हैं तो वह अपनी सहोदरी विश्व की पहली जल धारा वाली माता पयस्वनी को जीवनदान देने के लिए आगे आएं। माता अपने पुत्रों को इसलिए जगा देती है क्योंकि वह जगी हुई होती है। माताओं के जागरण से ही मां पयस्वनी का जागरण होगा। उन्होंने कहा कि चित्रकूट की भूमि तो माता अनुसुइया की गाथा कहती है। त्रिदेवों की माता के रूप में विख्यात माता अनुसुइया ने अपने तपबल से पीड़ित मानवता व लोगों की प्यास को बुझाने के लिए माता मंदाकिनी को प्रकट किया। आज माता मंदाकिनी बीमार हैं तो माता पयस्वनी अपनी अंतिम सांस ले रही हैं। उन्होंने मानस व श्रीमद भगवत गीता के तमाम श्लोकों के जरिए यह बताने का प्रयास किया कि किसी भी मानव के लिए जल कितना आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने जल के महत्व को समझाने के लिए कई पौराणिक क्षेपकों का भी सहारा लिया। श्रीराम सेवा मिशन द्वारा आयोजित मानस मंथन अनुष्ठान के द्वितीय दिवस साध्वी कात्यायिनी ने कहा कि यह कथा केवल माता प्यस्वनी को जीवित करने के लिए की जा रही है। हमारा उद्देश्य एक बार फिर माता पयस्वनी को श्रीराम के जमाने की माता के रूप में देखना है। इस दौरान कथा के व्यवस्थापक सत्यनारायण मौर्य, संतोष तिवारी, गंगासागर महराज सहित अन्य भक्त गण मौजूद रहे।

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