राकेश कुमार अग्रवाल
देश आज 72 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है . सैकडों वर्षों की गुलामी में कभी मुगलों ने देश पर राज किया तो कभी ब्रिटिशर्स ने . सच कहा जाए तो आजादी के पहले देश कभी देश के रूप में रहा ही नहीं है . राजाओं और रियासतों में हुकूमतें बंटी हुई थीं . जिनके लिए उनकी रियासत ही उनका देश थी . अंग्रेजों के जाने के बाद न केवल देश अपने सही रूप स्वरूप में आया बल्कि रियासतों से इतर पूरे देश को साथ लेकर चलने पर काम शुरु हुआ .
जनता का शासन जनता के द्वारा और जनता के लिए की परिकल्पना का पर्व है हमारा गणतंत्र दिवस . गणतंत्र दिवस की परेड का उद्देश्य महज देश के विकास व सशक्त भारत की झांकी प्रदर्शित करना नहीं बल्कि उस हर देशवासी की अहमियत को तवज्जो देना भी है जिसने इस देश को बनाने में अपनी भूमिका का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योगदान दिया है . तभी तो राष्ट्राध्यक्ष महामहिम राष्ट्रपति स्वयं मंच पर खडे होकर परेड को सलामी देते हैं . इस सलामी का निहितार्थ भी यही है कि राष्ट्र के प्रति योगदान करने वालों के प्रति देश के संरक्षक द्वारा उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित करना .
लोकतंत्र या गणतंत्र में अच्छे को इनाम और सम्मान तो बुरे को दंड का प्रावधान किया गया है . किसी व्यक्ति ने विधि सम्मत काम न करके किस तरह का अपराध किया है एवं उस अपराध के दंड का क्या रूप स्वरूप हो इसके लिए संविधान सभा का गठन किया गया . ताकि देश विदेश के संविधानों की रोशनी में भारतीय परिस्थितियों देश काल व यहां के मिजाज के अनुरूप संविधान को अंतिम रूप दिया जा सके . दो साल 11 महीने 18 दिनों की अथक मशक्कत के बाद हमारा संविधान अंतिम रूप ले सका . अब राजा के मिजाज या रहमोकरम पर सजा तय नहीं होती है बल्कि संविधान के प्रावधानों के अनुरूप दंड दिया जाता है . जिसमें जुर्माना व कैद से लेकर फांसी तक की सजा दी जा सकती है . कोई नागरिक यदि राष्ट्र और समाज के हित में विशिष्ट योगदान करता है तो उसको सर्वोच्च नागरिक अलंकरण सम्मान से नवाजा जाता है . जिसके तहत तीन पद्म सम्मानों से लेकर भारत रत्न तक का सम्मान शामिल है . एक परिपक्व लोकतंत्र का नमूना कुछ वर्षों से देखने में आया है जब सरकार ने समाज के रीयल व गुमनाम हीरो को इन पद्म सम्मानों से नवाजना शुरु किया है . जिससे इन पुरस्कारों की गरिमा और सम्मान और भी बढ गया है .
सेना व नागरिक पुलिस के द्वारा अपनी सेवाओं के दौरान किए गए विशिष्ट कौशल का प्रदर्शन के बाद उन्हें मिलने वाले वीरता पुरस्कारों व विशिष्ट सेवा मैडलों से न केवल सेना व पुलिस कर्मियों का मनोबल बढता है बल्कि दूसरे सुरक्षा कर्मियों को भी अपने कर्तव्य बोध के प्रति प्रेरित करता है .
परेड में शामिल विविध राज्यों की झांकियां भारत की विविधता और अनेकता में एकता को प्रदर्शित करती है कि भले हमारा देश भाषा , बोली , परम्पराओं , जातियों , धर्मों , रीति रिवाज , पहनावा , खानपान , रहन सहन , भौगोलिक , सांस्कृतिक , धार्मिक सभी क्षेत्रों में पूरी दुनिया के लिए कौतुहूल का विषय है लेकिन जब भी देश की एकता , अखंडता की बात आती है तो पूरा राष्ट्र उस गुलदस्ते के समान है जिसमें सभी विविधताओं के पुष्पों से भरे गुच्छे हैैं .
गणतंत्र में वे नन्हे मुन्ने बच्चे भी शामिल हैं जिन्होंने बालपन में राष्ट्र को गौरव से भर दिया . तभी तो उन्हें हाथी पर सवार होकर परेड में शिरकत करने का मौका मिलता है . परेड में एनसीसी कैडेट्स देश के किशोर व युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं . गणतंत्र की यह परेड अनुशासन , संयम , धैर्य , अभ्यास , तालमेल व समन्वय का अनूठा उदाहरण पेश करती है .
गणतंत्र के 72 वें वर्ष में ऑल इज वेल है ऐसा भी नहीं है . शिक्षा , स्वास्थ्य , रक्षा , घरेलू मामलों , बेरोजगारी , जनसंख्या , भ्रष्टाचार , पर्यटन , विज्ञान , कानून व्यवस्था , अनुसंधान , अर्थव्यवस्था सभी क्षेत्रों में बहुत कुछ करने की जरूरत है . जरूरत यह भी कि विकास की असमानता को समान रूप से व्यवस्थित करने की . कुछ राज्य तरक्की में सरपट दौड रहे हैं तो तमाम राज्य बहुत पीछे हैं . जरूरत इस बात की है कि अंतिम पायदान पर खडा आदमी महज वोटर बनकर न रह जाए . वह भी विकास का सहभागी बने . उसके लिए केवल योजनायें बनें नहीं बल्कि उसको योजनाओं का लाभ भी मिले . इस तंत्र की सार्थकता तभी होगी जब आदमी को लगे कि इस तंत्र ने अपने गण को बिसराया नहीं है . उसे पार्टी , जाति , धर्म के आधार पर नहीं भारतवासी होने के आधार पर व्यवस्था ने और देश ने गले लगाया है .
हमारा गणतंत्र कुछ कहता है
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