विश्व को मरुस्थलीकरण और सूखा से बचाने हेतु सभी को मिलकर कार्य करना होगा – डॉ. यू.एस. गौतम

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बाँदा : बांदा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा में विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का आयोजन वनिकी महाविद्यालय द्वारा किया गया था जिसकी अध्यक्षता कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के मा0 कुलपति, डॉ यू.एस. गौतम ने की। अपने संबोधन में, उन्होंने बताया कि मरुस्थलीकरण, मिट्टी का क्षरण और सूखा दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इस कारण लाखों लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। इसकी मार सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों पर है।

डा. गौतम ने कहा कि हमें एक उपभोक्ता के रूप में तथा कॉर्पोरेट व्यवहार में बदलाव लाना आवश्यक है। अधिक कुशल योजना और टिकाऊ प्रथाओं को अपनाकर बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। सहयोगात्मक कार्रवाई और एकजुटता के माध्यम से, हम जलवायु बहाली और भावी पीढ़ी के लाभ के लिए भूमि बहाली और प्रकृति आधारित समाधानों को बढ़ा सकते हैं।

कार्यक्रम में डॉ. अरबिन्द गुप्ता, सहायक प्राध्यापक, मृदा विज्ञान ने प्रजेन्टेशन के माध्यम से मरूस्थ्ल बनने के कारण एवं प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. गुप्ता ने आकडों के माध्यम से जनमानस को सचेत करते हुये कहा कि समय रहते अगर हमने मृदा क्षरण को नही रोका तो उपजाउ भूमि भी मरूस्थल में परिवर्तित हो जायेगी। एक दूसरे प्रजेन्टेशन में ई0 संजय कुमार, सहायक प्राध्यापक, ने बताया कि सूखा ग्रस्त क्षेत्र कैसे बनता है तथा इसे कैसे रोका जा सकता है। ई0 संजय ने बताया कि सूखा ग्रस्त क्षेत्र मनुष्यों एवं प्रक्रति द्वारा बनाया जाता है। अपना बुन्देलखण्ड मनुष्य से प्रभावित सूखाग्रस्त हो जाता है। अत्यधिक जल का प्रयोग एवं उनका दोहन प्रमुख कारण है, जिसे हमे रोकना होगा। कार्यक्रम मे आज आनलाइन पोस्टर प्रतियोगता का भी परिणाम घोषित किया गया जिसमें ओजल धाकड प्रथम, वर्षा बुन्देला व जान्हवी गुप्ता द्वितीय तथा शिखर कौशिक ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

कार्यक्रम में अधिष्ठाता उद्यान डॉ. एस.वी. द्विवेदी ने कहा कि हमे अपने रहन सहन एवं व्यवहार में पविर्तन लाने की आवश्यकता है। अतिथियों का स्वागत सह अधिष्ठाता वानिकी महाविद्यालय डॉ. संजीव कुमार ने किया। इस अवसर पर निदेशक, प्रशासन और अनुश्रवण, डॉ बीके सिंह, सह अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ वी.के. सिंह, सह निदेशक प्रसार डा0 नरेन्द्र सिंह, डॉ ए.के. श्रीवसस्ताव, डॉ. आर.के. पाण्डेय, डॉ. वी.पी. मिश्रा, डॉ दिनेश गुप्ता, डॉ चंद्रकांत तिवारी के अलावा विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक एवं संकाय प्रमुख तथा प्राध्यापकगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मोनिका जैन सहायक प्राध्यापक द्वारा किया गया।

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