रायबरेली जिले मे चल रहा अवैध वसूली का बड़ा खेल, वसूली करने वाले बता रहे कप्तान के आदेश को हमारे आगे सब है फेल

8912

एसपी डॉ. यशवीर सिंह के सख्त निर्देशों के बावजूद ऑटो चालकों पर जारी है गुंडागर्दी,हो रही जमकर वसूली

रायबरेली-उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में अवैध वसूली और गुंडागर्दी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।पुलिस अधीक्षक डॉ. यशवीर सिंह के सख्त निर्देशों के बावजूद सीएनजी ऑटो, डीजल ऑटो, टेम्पो, ई-रिक्शा, लोडर और पिकअप चालकों और लग्जरी बसों से हो रही वसूली नगर पालिका के नाम पर की जा रही अवैध वसूली रुकने का नाम नहीं ले रही। वसूली न देने पर चालकों के साथ मारपीट, गाली-गलौज और धमकी जैसी घटनाएं आम हो चुकी हैं।इस मुद्दे ने न केवल यातायात व्यवस्था को प्रभावित किया है।बल्कि सैकड़ों चालकों की आजीविका पर भी संकट मंडरा रहा है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बार-बार दिए गए बयानों में अवैध वसूली और गुंडागर्दी करने वालों को जेल की सजा देने का वादा किया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

शहर से हाईवे तक अवैध संचालन: जान जोखिम में डालकर लंबी दूरी तय कर रहे वाहन

जिले के प्रमुख शहर क्षेत्रों से शुरू होकर हाईवे तक फैले इन अवैध रूटों पर वाहनों का संचालन एक गंभीर समस्या बन चुका है। सिविल लाइन्स से परसदेपुर रोड जाने वाले मार्ग, बरगद चौराहा से गदागंज रोड, डलमऊ रोड, सलोन रोड और लालगंज रोड पर ये वाहन बिना किसी वैध अनुमति के घूम रहे हैं। इसी तरह, सारस चौराहा से जायस-अमेठी रोड, त्रिपुला चौराहा से महाराजगंज और बछरावां के लिए भी ये अवैध रूप से ऑटो-टेम्पो दौड़ाए जा रहे हैं।
ये वाहन मूल रूप से शहर की सीमाओं तक ही सीमित हैं, लेकिन चालक इन्हें हाईवे पर ले जाकर भारी-भरकम सामान लादते हैं। क्षमता से कहीं अधिक सवारियां भरकर ये वाहन 30 से 35 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं, जो ट्रैफिक नियमों का खुला उल्लंघन है। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस ओवरलोडिंग के कारण दुर्घटनाओं का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। जिले में करीब 500 से 600 सीएनजी ऑटो ही ऐसे हैं जो बिना किसी रोक-टोक के अवैध रूप से हाईवे पर दौड़ रहे हैं।इन लंबी दूरी के रूटों पर सक्रिय हैं। इनकी वजह से बीते कुछ वर्षों में कई हादसे हो चुके हैं, जिनमें लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। लेकिन वसूली करने वाले गुटों को इन घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता उनका एकमात्र मकसद पैसा ऐंठना है।

नगर पालिका के नाम पर खुलेआम वसूली: प्रति ऑटो 60-70 रुपये रोज, महीने में 300-400 अतिरिक्त

जिले में अवैध वसूली का यह जाल बेहद सुनियोजित तरीके से बिछाया गया है।हर 30-35 किलोमीटर के रूट पर 3 से 4 ठिकानों पर वसूली गैंग के सदस्य तैनात रहते हैं। ये लोग नगर पालिका के नाम पर प्रति ऑटो 60 से 70 रुपये प्रतिदिन की वसूली करते हैं। इसके अलावा, हर महीने 300 से 400 रुपये अलग से प्रति ऑटो चालकों से पुलिस को देने के नाम पर ऐंठे जाते हैं। केवल सीएनजी ऑटो ही नहीं, बल्कि डीजल ऑटो, टेम्पो, ई-रिक्शा, लोडर और पिकअप जैसे अन्य वाहनों से भी यह अवैध वसूली हो रही है।

सूत्रों के अनुसार,नगर पालिका के अलावा कई अन्य लोग भी इस कारोबार में लिप्त हैं। यहां तक कि रायबरेली होकर दिल्ली और नोएडा जाने वाली बसों से भी सारस चौराहे पर खुलेआम वसूली की जा रही है। चालकगण बताते हैं कि यदि वसूली न दी जाए, तो मारपीट और गाली-गलौज आम बात है। कई चालकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ये गैंग स्थानीय गुंडों और कुछ प्रभावशाली लोगों से जुड़े हुए हैं, जिस कारण पुलिस कार्रवाई प्रभावी नहीं हो पा रही।

एसपी के निर्देशों पर पुलिस अभियान: कुछ दिनों की राहत, फिर वही पुरानी कहानी

बीते सप्ताह एसपी डॉ. यशवीर सिंह के सख्त निर्देशों पर जिला पुलिस ने एक विशेष अभियान चलाया था। इस दौरान अवैध वसूली पर कुछ दिनों के लिए ब्रेक लगा, और चालकों को राहत मिली। लेकिन अभियान समाप्त होते ही पुरानी प्रथा फिर शुरू हो गई। चालक संगठनों ने एसपी से मिलकर शिकायत की है कि बिना स्थायी समाधान के ये अभियान केवल अस्थायी राहत देते हैं। एक चालक ने कहा,हमारी कमाई का बड़ा हिस्सा इन वसूलियों में चला जाता है।ऊपर से ओवरलोडिंग के कारण दुर्घटना का डर हमेशा सिर पर मंडराता रहता है।

ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के अलावा, ये अवैध संचालन यातायात जाम और सड़क दुर्घटनाओं को भी बढ़ावा दे रहे हैं। जिला प्रशासन ने अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे चालकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।

सीएम योगी के बयानों पर सवाल:अवैध वसूली पर कार्रवाई क्यों नहीं?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कई सार्वजनिक बयानों में स्पष्ट रूप से कहा है कि अवैध वसूली और गुंडागर्दी करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा था, “जो भी अवैध वसूली या गुंडागर्दी करेगा, उसे जेल का रास्ता दिखाया जाएगा।” लेकिन रायबरेली जैसे जिलों में यह समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। स्थानीय निवासियों और चालकों का सवाल है—आखिर इन वसूली गैंगों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या प्रभावशाली लोगों का संरक्षण इन्हें बचाए हुए है?

जिला प्रशासन और पुलिस से जब इस बारे में संपर्क करने की कोशिश की गई, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। हालांकि, एसपी डॉ. यशवीर सिंह ने पहले ही निर्देश जारी कर चुके हैं कि ऐसी अवैध गतिविधियों पर कड़ाई बरती जाए। उम्मीद है कि जल्द ही कोई बड़ा अभियान चलाकर इस काले कारोबार पर पूर्ण विराम लगाया जाएगा, ताकि सैकड़ों चालकों को न्याय मिल सके और सड़कें सुरक्षित रहें।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

8.9K views
Click