Home उत्तर प्रदेश रायबरेली आबकारी विभाग ने 500 शराब व्यापारियों को पकड़ा दी कबाड़ की POS मशीन!

आबकारी विभाग ने 500 शराब व्यापारियों को पकड़ा दी कबाड़ की POS मशीन!

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आबकारी विभाग ने 500 शराब व्यापारियों को पकड़ा दी कबाड़ की POS मशीन!

12 घंटे की दुकानदारी में महज 2 घंटे ही चल पाती है पीओएस मशीन

रायबरेली। जहां एक ओर आबकारी विभाग में शराब ठेकेदारों के लिए तरह-तरह के नियम व शर्तें लागू किये जाते है, वही बात करी जाए रायबरेली जिले की तो यहां पर एक अनोखा मामला सामने निकल कर आया है।

आपको बताते चलें रायबरेली जिले के आबकारी विभाग में अभी कुछ दिन पूर्व रायबरेली के 500 शराब के ठेकेदारों को पीओएस मशीन की सप्लाई विभाग द्वारा दी गई थी। जिसमें उस मशीन की कीमत लगभग ₹35000 बताई जा रही है।

अब आपके मन में होगा कि आखिर यह पीओएस मशीन है क्या चीज और यह कैसे काम करती है। तो हम आपको बताते चलें। पीओएस मशीन शराब की बोतलों में लगे बार कोड को स्कैन और स्टाक को मेंटेन करने का काम करती है।

लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो अब यह सामने निकल कर आ रहा है कि जो पीओएस मशीन शराब ठेकेदारों द्वारा खरीदी गई थी, वह मशीन या तो काम नहीं कर रही है या तो काम करते-करते कुछ देर बाद अपने आप बंद हो जाती है या फिर उसमें नेटवर्क ही नहीं रहता है।

जिसको लेकर शराब ठेकेदारों ने कई बार विभाग के उच्च अधिकारियों को मशीन के कमी के बारे में सूचना दी थी, लेकिन सूचना के बाद भी विभाग के उच्च अधिकारी के कान में जूं नहीं रेंग रही है। वहीं अगर मशीन द्वारा स्टॉक को नहीं स्कैन किया जाता है, तो विभाग के अधिकारी बिना किसी बात को सुनें शराब ठेकेदारों पर कार्रवाई करने की बात कहते हैं।

जबकि उनको चाहिए कि आखिर क्या वजह है स्टाक को मेंटेन नहीं किया गया है, जिसकी वजह से शराब के ठेकेदारों को मशीन के ना काम करने से खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन उच्च अधिकारी इस पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।

अब देखने वाली बात यह होगी कि आखिर उच्च अधिकारी इस मामले पर कोई हल निकालते भी हैं या शराब के ठेकेदार इसी तरह परेशानी का दंश झेलते रहेंगे।

वही संबंधित मामला केवल रायबरेली जिले का नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में यह समस्या बिल्कुल एक जैसी है। इसको लेकर विभिन्न जिलों के आबकारी अधिकारियों ने शासन को मशीन की खराब होने की चिट्ठी भी लिखकर भेजी है। लेकिन अभी तक कोई भी शासन द्वारा संबंधित मामले में ना तो कोई निर्देश जारी किया गया ना ही कोई कार्यवाही की गई है।

वही बात करी जाए रायबरेली में बांटी गई मशीन की कीमत लगभग मशीन का आकलन लगभग ₹1,75,00,000 के करीब निकल कर सामने आ रहा है। इसके बावजूद भी विभाग के लोग कुंभकरण की नींद सो रहे हैं।

रिपोर्ट – अनुज मौर्य

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