अमन की जिंदगी में कब आएगा चैन? शहर में खा रहा है ठोकरें

 

बहुत छोटी उम्र में ललितपुर के अनाथ आश्रम में भेजा गया था 20 वर्षीय अमन

 

तलाश ज़िंदगी की….


रायबरेली – अनाथ अमन की जिंदगी के बारे में अगर आपने सुन लिया तो यकीन मानिए आप इंसानियत से धनवान सबसे बड़े व्यक्ति हैं। वरिष्ठ पत्रकार “गौरव अवस्थी” द्वारा लिखी गई खबर के मुताबिक 20 साल का एक अनाथ युवक सर्द रातें खुले बरामदे में काट रहा है। उसका ना कोई घर है ना ठिकाना खाने का इंतजाम है ना कुछ पहनने का दिन भर वह बरामदे में ही पड़ा रहता है एक रजाई और एक पानी की पुरानी बोतल ही उसकी गृहस्थी बन गई है। दरियादिली दिखाते हुए आसपास के कुछ लोग उसे खाना जरूर दे देते हैं।खुले बरामदे में दिन रात काटने वाले युवक को बहुत छोटी उम्र में ही अनाथ आश्रम भेज दिया गया था। लगभग 20 वर्षीय इस युवक को जहां तक नहीं पता वह कहां का रहने वाला है वह अपना नाम अमन बताता है। वह बता रहा है कि ललितपुर अनाथ आश्रम में रह रहा।


बड़े हो गए कहकर 3 साल पहले प्रबंधकों ने आश्रम से निकाल दिया

करीब 3 साल पहले उसे यह कहकर आश्रम से निकाल दिया गया कि तुम अब बड़े हो गए हो जाओ खुद कमाओ खाओ जाकर 3 साल से यह युवक दर-दर की ठोकरे खा रहा है। उसका कहना है कि इन 3 सालों में बांदा, कानपुर, लखनऊ में ठोकरे खाता रहा करीब 1 महीने पहले घूमते घूमते रायबरेली जनपद आ गया 3 दिन से इंदिरा नगर में रूप भवन के बरामदे में पड़ा हुआ है। जहां उसे पड़ी हुई दो रजाइया मिल गई उन्हें ही ओढ़कर वह सर्द रातें काट रहा है यही फूल की दुकान चलाने वाले मंजीत, टीवी रिपेयरिंग के दुकानदार तिवारी और होटल चलाने वाले बब्बू शुक्ला उसे खाना खिला देते हैं।

क्या अमन की जिंदगी भी दिवाली की तरह कोई जगमग कर सकता है!

 


ऐसा नहीं है कि रायबरेली जनपद में इंसानियत से भरे इंसान नहीं है दरियादिली और नेक दिल इस जनपद की शान है। कई दफे बेघर और पिछड़ों को अपनाकर मिसाल कायम की है जनपदवासियों ने। लेकिन देखना अहम होगा क्या जानकारी में आने के बाद जनपद का कोई व्यक्ति इस बालक का नई दिशा दे सकता है रोजगार दे सकता है जिससे यह अपने पैरों पर खड़ा हो सके। अमन को यदि कोई राह दे तो वह यकीनन कुशलता के साथ काम कर सकता है। फिलहाल जिंदगी उसे किस मोड़ पर ले जाएगी आने वाला वक्त ही तय करेगा!

दुर्गेश सिंह चौहान

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