एक आँख का क्रिकेट कप्तान

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नवाब मंसूर अली खां पटौदी की नवीं पुण्य तिथि पर विशेष

रिपोर्ट – राकेश कुमार अग्रवाल

नई पीढी तो शायद यह जानती भी नहीं होगी कि भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व एक ऐसे खिलाडी ने भी किया है जिसकी केवल एक आँख थी . जी हाँ ! मैं बात कर रहा हूं नवाब मंसूर अली खान पटौदी की . टाइगर के नाम से विख्यात नवाब मंसूर अली खान पटौदी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान , पटौदी रियासत के नौवें नवाब , जानी- मानी अदाकारा शर्मिला टैगोर के पति व सैफ अली खान, सबा एवं सोहा अली खान के पिता थे .

पटौदी रियासत 1804 में अस्तित्व में आई थी . अफगानी पठान फैज तलब खान यहां के पहले नवाब थे .

एक जुलाई 1961 को होव में कार एक्सीडेंट में काँच का टुकडा उनकी आँख में चला गया था . जिससे उनकी दाईं आँख हमेशा के लिए खराब हो गई . लेकिन उन्होंने एक आँख से क्रिकेट खेलना जारी रखा . महज 16 साल की उम्र में उनका फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पदार्पण हो गया था .

1962 में नवाब मंसूर अली खान पटौदी भारतीय टीम के कप्तान बने . महज 21 वर्ष 77 दिन की उम्र में भारतीय टीम के कप्तान बने पटौदी दुनिया के सबसे कम उम्र के कप्तान बने. उनका यह रिकार्ड 42 वर्षों तक 2004 तक बरकार रहा .

46 टेस्ट मैचों में 2793 रन बनाने वाले नवाब पटौदी भारतीय टीम के सबसे सफल कप्तानों में शुमार किए जाते रहे हैं . उन्होंने अपने कैरियर के तीसरे टेस्ट मैच में शतक लगाकर अपने बल्लेबाजी कौशल का नमूना दे दिया था .

नवाब मंसूर अली खान पटौदी पत्नी शर्मिला टैगोर के साथ 2005 में म.प्र . के नौगाँव में आयोजित क्रिकेट टूर्नामेंट के पुरस्कार वितरण समारोह में आए थे . तब अलीपुरा में वहां के विधायक कुंवर भँवर राजा उर्फ मानवेन्द्र सिंह के आवास पर देर शाम नवाब पटौदी का मैंने लम्बा इंटरव्यू किया था . बिना किसी घमंड के नवाब पटौदी ने मेरे सवालों का जवाब दिया था . शर्मिला जी भी बाजू में बैठी रही थीं . चलते वक्त उन्होंने मुझ से पूछा था कि ” आप बैसाखी से चलते हो जर्नलिज्म में दिक्कत नहीं आती तब मैंने उनसे कहा था कि सर जब आप आँख में प्राब्लम होने के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट खेल सके तो मैं भी पत्रकारिता कर सकता हूं . ” यह सुनते ही उन्होंने हंसते हुए कहा था गुड आन्सर .

नवाब साहब को उनकी नवमी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि !

Rakesh Kumar Agrawal

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