खतौनी फीडिंग फर्जीवाड़े में विवेचक ने मांगे दस्तावेज

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भ्रष्टाचारी काले कारनामे

दक्षिणी जहानाबाद गौरा कोठी मामले में हुई जांच तो पता चला था खतौनी में हुई थी फर्जी फीडिंग

रिपोर्ट – दुर्गेश सिंह

रायबरेली – प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भले ही अधिकारियों को यह संदेश देते रहे कर्मचारियों से यह कहते रहे कि भ्रष्टाचार से दूर रहें लेकिन भ्रष्टाचारी अधिकारी और कर्मचारी भद्द पिटवा रहे हैं सरकार को कठघरे में खड़े कर रहे भ्रष्टाचारी अधिकारी और कर्मचारियों की अब शामत आने जा रही है। खतौनी फीडिंग फर्जीवाड़े की जांच प्रक्रिया तेज हो गई है विवेचक ने एसडीएम से घटना से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज मांगे हैं। अभी तक तो मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में नजर आ रहा था लेकिन अब एकाएक कार्यवाही फिर से शुरू हो गई है। सदर तहसील में भूलेख कंप्यूटरीकरण योजना में आदेशों और खतौनी की फीडिंग के काम के लिए 4 लेखपालों विनय कुमार तिवारी, शीतला प्रसाद, विनोद कुमार वर्मा और विजय कुमार दीक्षित को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सदर क्षेत्र के दक्षिणी जहानाबाद गौरा कोठी निवासी दिलीप कुमार ने शिकायत कर मामले की जांच कराई थी तो पता चला था कि उसकी खतौनी में फर्जी फीडिंग कर दी गई है लाखों की जमीन का बिना मुकदमा और आदेश के ही फीडिंग करा दी गई। क्योंकि पोर्टेल से जुड़ा पासवर्ड लेखपाल विनय तिवारी के जिम्मे था इसलिए उस को दोषी मानते हुए सदर कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। मामले के विवेचक और सिविल लाइन चौकी इंचार्ज संजय पाठक हैं वह पूरे मामले में जांच कर रहे हैं। दस्तावेज मिलने के बाद मामले में पीड़ित पक्ष के बयान दर्ज किए जाएंगे पूरी मामले की तहकीकात की जाएगी उसके बाद जांच रिपोर्ट एसडीएम को सौंपी जाएगी। एक अखबार को दिए बयान में एसडीएम शालिनी प्रभाकर का कहना है कि विवेचक को जल्द दस्तावेज दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं मामले की विभागीय जांच भी चल रही है प्रकरण पर जल्द कार्रवाई की जाएगी।

दिलचस्प होगा देखना कितनी ईमानदार होती है कार्यवाही!

यह मामला जितनी जल्दी खुल गया उम्मीद नहीं थी शिकायतकर्ता ने बेहद ही धीरज और संतुलित तरीके से जांच करवाई जिसके बाद मामला निकल कर सामने आ गया। सवाल तो यह भी है क्या यह पहला मामला है जो प्रकाश में निकल कर सामने आया है या फिर ऐसे कई कारनामे पोर्टल पर दफन है? इन काले कारनामों की व्यापक जांच कराना बेहद जरूरी हो गया है बड़े गठजोड़ के तहत अधिकारी, कर्मचारी, भ्रष्टाचारियों ने न जाने कैसे-कैसे कारनामे किए होंगे वह तो शायद जांच के बाद सामने निकल कर आए!

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