चित्रकूट में तुलसी जयंती पर आयोजित हुई ऑनलाइन व्याख्यानमाला “तुलसी वाङ्गमयगङ्गा”

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सतना – मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की तपस्थली चित्रकूट में सोमवार को श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन श्री रामचरितमानस के रचयिता महाकवि तुलसीदास जी के प्राकट्य दिवस के उपलक्ष्य पर श्री राम संस्कृत महाविद्यालय श्री रघुवीर मंदिर ट्रस्ट, जानकीकुंड के तत्त्वावधान में ऑनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस व्याख्यानमाला में गोस्वामी तुलसीदासजी के जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व से सम्बंधित विविध आयामों पर विशिष्ट वक्ताओं ने अपने शीर्षक और वक्तव्य सभी से साझा किये।कार्यक्रम का शीर्षक था ” तुलसी वाङ्गमयगङ्गा “। लॉकडाउन के कारण इस समय में कोई सामूहिक आयोजन न हो पाने की स्थिति में इसका माध्यम ऑनलाइन रखा गया, जिसमें चित्रकूट, भोपाल और उज्जैन आदि शहरों से वक्ताओ ने वीडियो कोंफ्रेसिंग के माध्यम से अपने व्याख्यान दिए।
इस व्याख्यानमाला में सर्वप्रथम सदगुरु शिक्षा समिति की अध्यक्षा श्रीमती उषा बी. जैन ने जुड़े हुए सभी वक्ताओं और श्रोताओं को शुभकामनायें प्रेषित की।उन्होंने ने कहा कि इस अवसर पर प्रतिवर्ष हम भव्य आयोजन करते थे, परन्तु कोरोना के इस संकटकाल में ऐसे आयोजन कर पाना संभव नहीं है, अतः इन्टरनेट और तकनीक का प्रयोग करते हुए हम इस वर्ष ऐसा आयोजन कर रहे हैं, जिससे वक्ता और श्रोता अपने घरों से ही जुड़ कर कार्यक्रम में सम्मिलत हो सकें।

तदुपरांत तुलसीकृत पद के गायन और मंगलाचरण के साथ व्याख्यानमाला प्रारंभ हुई। श्री राम संस्कृत महाविद्यालाय चित्रकूट के आचार्य श्री मनोज द्विवेदी ने “तुलसी का संस्कृत प्रेम” शीर्षक पर अपना वक्तव्य दिया। द्वितीय क्रम में विद्याधाम विद्यालय में हिन्दी साहित्य की व्याख्याता श्रीमती उर्मिला पाण्डेय ने “तुलसीदास एवं उनकी रामचरितमानस” विषय पर अपने विचार प्रकट किये। तृतीय क्रम में सदगुरु पब्लिक स्कूल के प्राचार्य श्री राकेश तिवारी ने “भक्तिकालीन कवियों में तुलसी का अग्रणी स्थान” शीर्षक पर अपना संबोधन दिया। चतुर्थ क्रम में श्री राम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य श्री सुरेन्द्र तिवारी ने “तुलसी के श्री राम” इस विषय पर अपने मत प्रकट किये। अगले क्रम में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन से हिन्दी विभाग की आचार्या डॉ. रूपाली सारये ने “तुलसीदास जी के साहित्य में सामाजिक चेतना” इस विषय पर अपना वक्तव्य दिया, तदुपरांत महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान बोर्ड भोपाल मध्यप्रदेश के निदेशक श्री प्रभातराज तिवारी ने अपना “तुलसी प्रकाट्य” पर व्याख्यान दिया। इसके उपरांत महर्षि पाणिनि वैदिक एवं संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. तुलसीदास परौहा जी ने” तुलसी का जीवन सन्देश” विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।

अंत में विद्यालय प्राचार्य ने सभी वक्ताओं को अपना अमूल्य समय और योगदान देने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उल्लेखनीय है कि, इस ऑनलाइन व्याख्यानमाला से अनेकों वक्ता एवं श्रोताओं ने अपने घरों में बैठकर, इस तुलसी जयंती पर ज्ञानलाभ अर्जित किया।

Vinod Sharma

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