जय श्रीमन्नारायण

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प्रथमो अनंतरुपश्च द्वतीयो लक्ष्मणश्च तथा।
तृतीयो बलरामश्च कलौ रामानुजो मुनि:।
प्रथम अनंत रूप में शेष स्वरूप धारण कर भगवान श्रीमन्नारायण को अपनी शरीर की शैय्या बना कर सदा क्षीर सागर में शयन करते हैं। माता लक्ष्मी जी भगवान के चरणों का कैंकर्य करती रहती है। द्वितीय बार आप त्रेतायुग में लक्ष्मण बन कर के आए और 14 वर्षों तक निद्रा को त्याग कर भगवान के श्री चरणों और माता जी के चरणों की सेवा करते रहे। तृतीय वार भगवान श्रीमन्नारायण के अवतार श्री कृष्ण के बड़े भाई बलभद्र बनकर अवतरित हुए और आप ही कलयुग में रामानुज स्वामी बनकर जीवों के उद्धार के लिए लोगों को श्री वैष्णव बनाने का कार्य किया। सनातन धर्म से भटके हुए लोगों को राह दिखा कर सनातन धर्म में वापसी कराया।
दासानुदास ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास रामानुज आश्रम शिवजी पुरम प्रतापगढ़। रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा

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