तैयार हो जाइए ” झटपट क्रिकेट के मेगा शो ” के लिए

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राकेश कुमार अग्रवाल

वक्त बदलता है . वक्त के साथ बहुत कुछ बदलता है ऐसे में भला खेलों में बदलाव क्यों न आएगा . सख्त मिट्टी की सतह पर खेले जाने वाली हाॅकी की जगह एस्ट्रो टर्फ ने ली . चित पट से जीत हार का कुश्ती मुकाबलों का फैसला अंकों के आधार पर होने लगा . ऐसे में क्रिकेट का खेल बदलावों से कैसे अछूता रहता .

पांच दशक पहले तक क्रिकेट की जीत हार के लिए पांच दिन कम पडते थे . कई बार पांच दिन बाद भी मैच का नतीजा ड्रा निकलता था . खेल इतना धीमा था कि सुनील गावस्कर जैसे बल्लेबाज 60 ओवर के मैच में पूरे 60 ओवर बल्लेबाजी करने के बावजूद महज 36 रन बना सके थे .

लेकिन 5 जनवरी 1971 क्रिकेट के खेल में एक नए बदलाव का साक्षी बना जब मेलबोर्न में आस्ट्रेलिया और इंग्लैण्ड के विरुद्ध खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच के तीन दिन बारिश की भेंट चढने के बाद अंपायरों ने दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए मैच के चौथे दिन चालीस – चालीस ओवर का मैच खिलाने का फैसला लिया . इस तरह से फटाफट क्रिकेट मुकाबलों का आगाज हुआ . जिसे क्रिकेटिया भाषा में वन डे मैच कहा गया . नतीजों का इंतजार अब पाँच दिन तक नहीं करना . सुबह से खेलो शाम तक और नतीजा लो. क्रिकेट मुकाबलों का यह रूप इतना पापुलर हुआ कि तीन साल बाद विश्व कप का आयोजन शुरु हो गया .

फटाफट क्रिकेट के बाद बारी थी झटपट क्रिकेट की . पांच अगस्त 2004 को इंग्लैंण्ड और न्यूजीलैंड की महिला टीमों के मध्य हुए मैच से T- 20 मैचों की शुरुआत हुई . हालांकि हम लोग जब क्रिकेट खेला करते थे और टूर्नामेंटों का आयोजन करते थे तब बीस बीस ओवर के मुकाबले ही खेले जाते थे. ताकि एक दिन में उसी ग्राउंड में सहजता से दो मैच निपट जाएँ . महज तीन घंटे के इन मैचों का ठेठ बुंदेली अंदाज ‘ हाल लगाओ हाल फायदा ‘ की गणित को ग्लैमर के तडके के साथ मेगा इवेंट में बदलने का श्रेय जाता है बीसीसीआई के ललित मोदी को जिसने झटपट क्रिकेट को मेगा इवेंट में बदल दिया . खिलाडियों की बोली लगने लगी . लगभग दो महीने तक चलने वाले इस सर्कस का खिलाडियों से लेकर दर्शकों सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है .

क्रिकेट सर्दियों का खेल माना जाता है . गर्मियों में भारतीय उप महाद्वीप में 40 – 45 डिगरी सेंटीग्रेट तापमान के बीच छह घंटे खुले ग्राउंड में खिलाडियों को भीषण उमस और चिलचिलाती धूप में खेलना संभव नहीं है न ही दर्शकों के लिए स्टेडियम में बैठकर लुत्फ उठाना . ऐसे में झटपट क्रिकेट की संकल्पना ने इसे साकार कर दिखाया . जब नौकरीपेशा हो या व्यापारी , स्टूडेंट हो या फिर गृहणी अपने काम को निपटाकर तीन घंटे में मनोरंजन कर स्टेडियम से वापस लैटकर नींद भी पूरी कर सकते हैं . इसके लिए उन खेल मैदानों को चुना गया जहाँ फ्लड लाईट की सुविधा हो . रात में दूधिया बल्बों की रोशनी में मुकाबले हो सकें . एयर कनेक्टिविटी व फाइव स्टार वाली हास्पिलिटी हो . चीयर्स लीडर के इंतजाम ने तो मैचों में जीवंतता के नए प्रयोग का समावेश कर दिया . इंडियन प्रीमियर लीग ( आईपीएल ) के नाम से शुरु हुई यह क्रिकेट लीग बीसीसीआई के लिए कामधेनु साबित हुई .

कोरोना वायरस के कारण लंबे चले लाॅकडाउन से आईपीएल भी खतरे में पड गया था . बीसीसीआई भी इस आयोजन में ब्रेक करना नहीं चाहती थी .
यूएई की धरती पर यह आयोजन दुबई , शारजाह और अबू धाबी में 19 सितम्बर से होने जा रहा है . सभी खेल प्रेमियों को इस झटपट सर्कस का वैसे भी बेसब्री से इंकार है क्योंकि गत 6 माह से सिनेमाघर , वाटर पार्क , मेले और खेल गतिविधियाँ ठप पडी हुई हैं . देखना है कि अरब की धरती पर यह आईपीएल का प्रयोग सफल हो पाता है या नहीं .

Rakesh Kumar Agrawal

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