दिल से बाहर निकलिए जनाब

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राकेश कुमार अग्रवाल
रात में एक सपना आया . सपने में देखा तो शरीर के तमाम अंग और अवयव आपस में तीखी चर्चा में उलझे हुए थे . सभी अंग अपनी अपनी महत्ता और उपयोगिता का बखान कर रहे थे . लीवर कह रहा था कि मैं पांच सौ अधिक काम अकेले करता हूं . आँखें बोलीं कि मेरे बिना तो दुनिया की कल्पना ही नहीं की जी सकती . और लेखक लोगों को लिखने के लिए पूरे शरीर में केवल ह्रदय मिलता है . ह्रदय के अलावा किसी अंग पर लिखने में वे कंपकपाने लगते हैं . फेफडा तपाक से बोला तभी तो हमने इस बार सभी को सबक सिखाने का फैसला लिया है .
मुझे भी रूमानी साहित्यकारों , कवियों और लेखकों एवं यश चोपडा टाइप रूमानी फिल्मों के फिल्मकारों से हमेशा से गिला शिकवा रहा है . गिला इसलिए नहीं है कि इन लोगों ने मेरी जमीन , जायदाद या सम्पत्ति हथियाने की चेष्टा की है . गिला इसलिए भी नहीं है कि ये सभी मेरे कांपटीटर हैं एवं इनके कारण मेरी दुकान नहीं चल पा रही है . इनसे मेरी कोई व्यक्तिगत , पारिवारिक या पेशेगत दुश्मनी भी नहीं है फिर भी गिला है तो केवल इसलिए इन सभी मूर्धन्य विद्वानों ने अपनी कलम चलाई या अपना कैमरा चलाया तो वह केवल दिल और दिल से जुडी कहानियों पर .
हिंदुस्तान में तो फिल्म को सुपर डुपर हिट करने का इकलौता फार्मूला है कि दिल या लव स्टोरी पर ताजगी से भरपूर सुमधुर गीत संगीत से सजी पगी फिल्म बना दीजिए फिल्म केवल लागत ही नहीं वसूलेगी बल्कि बाॅक्स ऑफिस पर छप्पर फाड कर कमाई भी करती है . प्रेम , प्यार और दिल से जुडी कविताओं जैसे धरती की बेचैनी को बादल समझता है मेरा दिल समझता है तेरा दिल समझता है टाइप कविताओं ने कुमार विश्वास को सेलेब्रिटी कवि बना डाला . और तो और प्रेम और दिल पर आप उपन्यास लिखिए उसके हिट होते ही फिल्मकार उस पर फिल्म बनाने को बेताब बैठे हुए हैं .
मेडीकल साइंस के मुताबिक इंसान के शरीर में केवल एक दिल नहीं बल्कि दर्जनों बडे अवयव ( ऑर्गन ) हैं . 206 हड्डियां हैं 639 मांसपेशियां हैं . शरीर का 40 फीसदी हिस्सा मांसपेशियां कवर करती हैं . लीवर , किडनी , ब्रेन , लंग्स , ग्लैंड्स , इंटेस्टाइन न जाने कौन कौन से अवयव होते हैं . जिनके बिना शरीर रूपी गाडी चल ही नहीं सकती . दिल के मामलों में यहां तक कहा जाता है कि गुनाह तो आँखें करती हैं . जो किसी चेहरे पर मर मिटती हैं और बदनाम दिल होता है . अरे भई दिल का तो काम ही धडकना है किसी एक पर न धडकेगा तो दूसरे पर धडकेगा . जो लोग जीवन में किसी से प्यार किए बिना सीधे शादी कर लेते हैं उनका दिल भी तो कुछ दिनों बाद एक दूसरे के लिए धडकना शुरु कर देता है . लेकिन बलिहारी हो इन गीतकारों और कवियों की जो दिल पर गाने न लिखें तो शायद दिल ही न धडके . कोई दिल के लिए लिखता है कि दिल तो पागल है दिल दीवाना है . अभी तक तो ये सुना था कि किसी व्यक्ति का दिमाग डिस्टर्ब हो जाए तो वो पागल या विक्षिप्त हो जाता है . अब दिल भी पागल होने लगा तो समझ लिए शरीर के अन्य अवयवों का क्या हो सकता है . एक गाने में कवि लिखते हैं कि दिल मेरा चुराया क्यूं जब दिल को तोडना ही था मतलब दिल चोरी भी हो सकता है और क्षणभंगुर भी है कि कांच की तरह टूट भी सकता है . तो एक गीतकार तो यहां तक लिखते हैं कि दिल में हो तुम , आँखों में तुम , बोलो तुम्हें कैसे चाहूं गनीमत है कि गीतकार महोदय ने किडनी , लीवर , लंग्स या स्टमक को चाहने के बारे में नहीं बताया नहीं तो तमाम जांचें कराने के बाद महबूब का सही ठिकाना पकड पाते . पंजाबी गानों के लोकप्रिय गायक गुरदास मान तो हाथ में ढपली ले लेकर उछल उछलकर गा कर बताते हैं कि दिल दा मामला है . गुरदास जी दिल विल प्यार व्यार छोडो अब तो गा दो कि लंग्स का मामला है ऑक्सीजन दे दो सजन , तौबा खुदा के वास्ते कुछ तो करो सजन . फिल्म शोले में गब्बर ने ठाकुर से हाथ क्या मांग लिए उमराव जान में तो ऑफर शुरु हो गया रेखा कहती हैं कि दिल क्या चीज है आप मेरी जान लीजिए . जैसे दिल के साथ जान मुफ्त हो . एक गीतकार तो दिल को विस्फोटक सामग्री ही बता बैठे . क्योंकि वे लिखते हैं कि दिल में आग लगाए सावन का महीना . कोई हीरोईन गाते हुए कहती है कि जिगर में बडी आग है . मुझे तो लगता है मानव के इंटरनल आर्गन बडे ही सेंसेटिव हैं जो कब आग पकड लें कहा नहीं जा सकता है . हम तो अभी तक ये सुना था कि कहने का काम मुंह करता है हालांकि कई बार यही काम आँखें व हावभाव भी कर डालते हैं . लेकिन कवि महोदय एक गाने में लिखते हैं कि दिल कहता है चल उनसे मिल , उठते ही कदम रुक जाते हैं .
मुझे तो लगता है कि यदि गीतकारों , कवियों , लेखकों और फिल्मकारों ने इतना जुल्म न किया होता दिल के अलावा दूसरे अंगों को भी अपने गीतों में , अपने गानों में अपनी कविता और कहानियों में तवज्जो दी होती तो हालात इतने विकट न होते . कल्पना करिए कि अभी तक केवल फेफडों ने इंतकाम लेना शुरु किया है . तब से देश में हाहाकार मचा है . ऑक्सीजन ढूंढे नहीं मिल रही है . इंजेक्शन नहीं मिल रहा है . बैड नहीं है . वेंटीलेटर नहीं है . लाशों का अम्बार लग गया है . वेटिंग चल रही है . जबकि अन्य अंग अभी भी शांत भाव से सब माजरा देख रहे हैं .

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