महंत ने जिससे जान का खतरा बताया, पुलिस ने दबाव में आकर उसी को मंदिर में कराया काबिज़

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अयोध्या:————
जिससे हत्या की आशंका, उसी के देखरेख में महंत को छोड़ना कितना सही, कोई घटना घटती है तो जिम्मेदार कौन?
अयोध्या के ब्यूरो चीफ मनोज तिवारी की खास रिपोर्ट
अयोध्या के नरसिंह मंदिर में हुई बमबाजी के मामले में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है ,मामला पूरी तरह पलट गया है, जिस राम शंकर दास के विरुद्ध मंदिर के महंत ने तहरीर दी , उसी के समर्थन में अयोध्या के कई संत महंतों ने कोतवाली अयोध्या का घेराव कर, आरोपी की तरफ से ही तहरीर दिलवाकर देवराम दास ‘वेदांती’ व सात नामजद समेत आठ लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवा दिया गया है,
छोटी छावनी के उत्तराधिकारी कमल नयनदास ,रामवल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमार दास, जानकी घाट के महंत जनमेजय शरण व सैकड़ों की संख्या में पहुंचे साधुओं ने कोतवाली अयोध्या का घेराव किया और पुलिस को दबाव में लेकर महंत द्वारा आरोपी को बचाकर, देवराम दास वेदांती समेत 8 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवा दिया गया,मजे की बात तो यह है कि भरी कोतवाली में ही संतों ने किसी एक संत को पीट भी दिया, मंदिर के महंत की तरफ से तहरीर होने के बावजूद भी गुट-विशेष साधुओं के दबाव में पुलिस आरोपी को ही फरियादी बना बैठी, ऐसी घटना सुनकर लोग हतप्रभ हैं।
एफ आई आर दर्ज करवाने के बाद महंगी महंगी गाड़ियों के साथ साधुओं का काफिला की जिसमें अपने गुरु के हत्या के प्रयास के आरोपी साधु, भू माफिया मंदिरों को कब्जा करवाने की स्पेशलिस्ट साधु जैसे तमाम साधुओं ने अपने गुरु को जान से मारने की धमकी देने वाले राम शंकर को लेकर पूरे काफिले के साथ नरसिंह मंदिर पहुंचे, और नरसिंह मंदिर के महंत को दबाव में लेने लगे ,नरसिंह मंदिर के महंत के बार-बार कहते रहे कि यह मुझे धमकी देता है, पूजा नहीं करता और नशा करता है गाली देता है दिन भर घूमता रहता है ,अगर यह रहेगा तो भगवान को भी बेच देगा , इतना कहने के बावजूद भी और मंदिर में महंत के अलावा मौजूद सभी संतो और विद्यार्थियों को बाहर कर दिया, गया और नशाबाजी व गुरु को बोरी में भरकर शरीर में फेंकने की धमकी देने वाले आरोपी राम शंकर त्यागी को मंदिर में स्थापित कर दिया गया, मंदिर के एक साधु को भी पहुंचे दबंग साधुओं ने मारने का प्रयास किया जिस पर सीओ अयोध्या राजेश तिवारी भड़के और उन्होंने कहा कि आप ही पुलिस बन जाइए, और फिर मजबूरन पुलिस खुद साधु को मंदिर से निकाल कर बाहर भेजा..
असल में पूरा मामला महंत देवराम दास से राजकुमार दास व नृत्य गोपाल दास की पुरानी दुश्मनी की भेंट चढ़ी, और मंदिर के महंत की शिकायत को नजरअंदाज नहीं किया गया बल्कि उन्होंने आरोपी बताया उसी के भरोसे महंत को छोड़ दिया गया, और साथ ही साथ रहेंगे चौकी इंचार्ज को भी इसी मामले में लाइन हाजिर कर दिया गया.
पुलिस पूरी घटना पर मौन रही पुलिस की बेबसी साफ दिखी
यह चिंता का विषय है और सोचने लायक है कि कि जिससे जान का खतरा है उसी को मंदिर में महंत के साथ छोड़ना कितना सही है और महंत के प्रार्थना पत्र पर कार्यवाही ना करना कितना उचित..

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