वित्तविहीन शिक्षकों की जेब में फूटी कौड़ी नहीं कैसे कराएंगे ऑनलाइन पढ़ाई

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काल्पनिक तस्वीर
  • बड़ी समस्या प्रधानाचार्य और कक्षा अध्यापक कहां से छात्रों के व्हाट्सएप नंबर ढूंढें गांव में सभी के पास नहीं है एंड्रॉयड फोन
  • प्रिंसिपलों और अध्यापकों के हाथ पांव फूले
  • ऑनलाइन पढाई बनी छात्रों के लिए हंसी ठिठोली का अड्डा
  • ट्रेजरी से भुगतान वाले शिक्षकों की तो बल्ले बल्ले है ही

रिपोर्ट – अनुज मौर्य

रायबरेली-जहां एक ओर कोविड-19 से संपूर्ण विश्व परेशान। वही उत्तर प्रदेश सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए चंद्रशेखर मालवीय ने प्रधानाचार्य को आदेशित किया है कि 15 जुलाई से सभी क्लास के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई प्रारंभ कर दी जाए।

जिसको देखने से ऐसा लगता है कि शायद डीआईएस महोदय को जानकारी है भी कि अभी ग्रामीण अंचलों में सभी के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है तब कैसे होगी ऑनलाइन पढ़ाई यह अभिभावकों और छात्रों सहित अध्यापकों के लिए चिंता का विषय में बना है। क्योंकि अध्यापकों से लगातार दबाव बनाकर छात्रों के व्हाट्सएप नंबर मांगे जा रहे हैं जो कि मिल पाना बड़ा मुश्किल है। वही जिन अभिभावकों के पास एंड्रॉयड फोन है भी तो वह अपने कार्यों से बाहर निकल जाते हैं जो टाइम टेबल विद्यालय में व्यवस्था की गई उस समय मोबाइल बच्चों के पास नहीं रहता। वही एक अवकाश 2021 में रिटायरमेंट होने वाले शिक्षक का कहना भैया हम तो बटन वाला मोबाइल चलाते हैं एंड्रॉयड फोन के बारे में कतई कुछ जानते भी नहीं अब यह कैसे होगी पढ़ाई। वही वित्तविहीन अध्यापकों के भी जी का जंजाल बनी है यह व्यवस्था क्योंकि पिछले कई महीने से प्रबंधकों ने मानदेय नहीं दिया है जिससे उनके परिवारों का तंगी से गुजरना हो रहा है ऐसी स्थिति में मोबाइल का रिचार्ज कराना, ऑन ऑनलाइन पढ़ाई कराना।

“भूखे पेट भजन न होय गोपाला”

की स्थित बनी जा रही है इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। दूसरी ओर लगातार प्रवेश के लिए भी बच्चे कालेजों के दौड़ लगा रहे हैं वही प्राइमरी और जूनियर से टीसी के कटने में भी लापरवाही देखी गई है। इस बेमेलता से एडमिशन की गति कच्छप गति से चल रही है।

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