संभालिए बच्चों को पड़ोसी दरिंदों से

8

राकेश कुमार अग्रवाल

केरल में एक 17 वर्षीय दुष्कर्म पीडिता ने खुलासा किया है कि बीते कुछ महीनों में उसके साथ 38 लोगों ने दुराचार किया है . पीडिता के मुताबिक 2016 में वह पहली बार यौन उत्पीडन का शिकार हुई थी . उस समय उसकी उम्र 13 वर्ष थी . उसके बाद दोबारा वह एक और वारदात का शिकार हुई . इसके बाद उसे बाल गृह भेज दिया गया . जब उसे निर्भया केन्द्र लाया गया तब उसने केन्द्र में काउंसलिंग के दौरान इसका खुलासा किया कि अब तक उसके साथ 38 लोग दुष्कर्म कर चुके हैं .
ऐसी ही एक डरावनी खबर मध्यप्रदेश के उमरिया की सुर्खियों का विषय बनी हुई है जहां लाॅकडाउन में मां के पास उमरिया आई एक 13 वर्षीय बालिका के साथ 11- 12 जनवरी को अलग – अलग 9 लोगों ने मिलकर गैंग रेप किया .
दो दिन पूर्व राजस्थान के बाडमेर जिले के शिव क्षेत्र के एक गांव में एक 15 वर्षीया बालिका को चार लोग रात में एक बजे सोते वक्त घर से उठाकर 300 मीटर दूर खेत में ले गए . जहां गैंगरेप के बाद उसकी गला रेतकर हत्या कर दी .
कमोवेश ऐसी ही घटना उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के कुलपहाड कोतवाली के ग्राम बेलाताल में घटी जहां इंटर में पढने वाली 16 वर्षीया दलित छात्रा को तीन युवक गांव से दूर एक मंदिर के निकट ले गए जहां देर शाम नाबालिग छात्रा का शव पेड पर रस्सी से झूलता मिला . मां के अनुसार तीनों युवकों ने मेरी बेटी के साथ बलात्कार करने के बाद उसे पेड से लटका दिया .
देखा जाए तो कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जिस दिन महिलाओं व बच्चियों से हैवानियत की घटनायें सुर्खियां न बनती हों .
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो ( एनसीआरबी ) के आँकडों के अनुसार महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में बलात्कार चौथा सबसे बडा अपराध है . वर्ष 2019 में देश में 32033 महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले दर्ज हुए . इस तरह से देखा जाए तो देश में प्रतिदिन 88 महिलायें बलात्कार का शिकार हुईं हैं . हालांकि हर कोई यह अच्छी तरह से जानता है कि बलात्कार के सभी मामले पुलिस रिकार्ड में दर्ज नहीं होते हैं . कुछ मामलों में धमकाकर या फिर पैसे के जोर पर घटना को ही रफा दफा कर दिया जाता है . सच बात तो ये है कि बलात्कार के ज्यादातर मामले दबा दिए जाते हैं . जिन मामलों को मीडिया उछाल देता है या अधिकारी स्वविवेक का इस्तेमाल कर एफआईआर के आदेश देते हैं प्राय : वही मामले दर्ज हो पाते हैं . अन्यथा ज्यादातर मामलों में एफआईआर ही दर्ज नहीं होती है .
बीते कुछ सालों से एक नया ट्रेंड सामने आ रहा है . जिसके तहत महिलाओं के बजाए अब ज्यादातर बलात्कारी नाबालिगों को निशाना बना रहे हैं . हाल ही में बुंदेलखंड में दो मामलों के प्रकाश में आने से हर कोई सकते में है . ये प्रकरण बताते हैं कि अधेड अंकलों एवं बुजुर्गों ने तो बहशीपन की सीमायें ही तोड डाली हैं . जिनके कारण अब मासूम व किशोर भी सुरक्षित नहीं हैं . एक प्रकरण चित्रकूट का है तो दूसरा मामला जालौन जिले का है . हाल ही में जालौन जिले के कोंच में पुलिस ने सेवाविवृत्त कानूनगो को गिरफ्तार किया है . यह रिटायर्ड कानूनगो बच्चों को नशीली दवा पिलाकर उनका यौन शोषण करता था . प्रारम्भिक जांच में उक्त रिटायर्ड कानूनगो द्वारा 36 बच्चों का यौन उत्पीडन का खुलासा हुआ है . गत 12 जनवरी को जालौन जिले के कोंच कस्बा के भगतसिंह नगर के दो बच्चों ने रिटायर्ड कानूनगो रामबिहारी की शिकायत दर्ज कराई कि रामबिहारी काम के बहाने उन्हें अपने घर बुलाया और कोल्ड ड्रिंक में नशीली दवा मिलाकर पिला दी . होश में आने पर उसने कुकर्म का वीडियो दिखाकर धमकाया . बच्चों के अनुसार रामबिहारी कुकर्म के वीडियो बनाकर बच्चों को दिखाकर ब्लैकमेल कर उनका यौन शोषण करता था . बच्चों ने पुलिस को सुबूत के तौर पर जो डीवीआर सौंपी उसे देखकर पुलिस के होश उड गए . पुलिस ने उसके घर से मोबाइल और लैपटाॅप बरामद किया जिसमें बच्चों के 320 अश्लील वीडियो निकले . कानूनगो भाजपा का नेता भी रहा है .
कमोवेश ऐसा ही मामला बुंदेलखंड के चित्रकूट का है जहां सिंचाई विभाग में तैनात जेई रामभवन को 16 नवम्बर को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था . रामभवन को भी आधा सैकडा बच्चों के यौन उत्पीडन , उनके अश्लील वीडियो बनाकर पोर्न साइट पर अपलोड करने जैसे आरोपों में गिरफ्तार किया था .
सवाल यह उठता है कि इस समाज में सुरक्षित कौन है . महिलायें , बच्चियाँ और अब बच्चे भी दरिंदों के निशाने पर हैं . इनमें शातिर अपराधी नहीं बल्कि वे चेहरे भी सामने आ रहे हैं जिन्हें लोग न केवल इज्जत की नजर से देखते थे बल्कि इज्जत भी देते थे . मीडिया की सुर्खियां बनी घटनायें साबित करती हैं कि हवस के मामले चरम पर हैं एवं इनसे कोई सुरक्षित नहीं है . ऐसे में जिम्मेदारी हमारी अपनी है कि हम अपने अपनों को संभालें एवं किसी पर अंधविश्वास कर उसके भरोसे न छोडें . सवाल यह भी है बालपन में या किशोरपन में बच्चे जाने अनजाने जिस हैवानियत के दौर से गुजर रहे हैं क्या वे अब कभी इससे उबर भी पाएंगे .
कानून अपना काम जब करेगा तब करेगा लेकिन आप तो बच्चे के माता पिता या अभिभावक हैं . आप अपने बाल गोपालों को यूं ही समाज में भगवान भरोसे न छोड दीजिए उन्हें अनदेखा न करिए . न ही अपने पास पडोस में रहने वाले लोगों को अनजाने में क्लीन चिट दीजिए क्योंकि बडों की बेरहम दुनिया में आसान शिकार बन रहे हैं बच्चे .

Click