सुदामा कृष्ण की मित्रता समाज के लिए अविस्मरणीय उदाहरण – आचार्य देवव्रत

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रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा

सुदामा कृष्ण की मित्रता समाज के लिए अविस्मरणीय उदाहरण__ आचार्य देवव्रत

(श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन तालियां बजाते जमकर झूमें भारी संख्या में उपस्थित श्रोता)

सांगीपुर, प्रतापगढ़। ब्लॉक सांगीपुर के ग्राम ननौती (पूरे भोला) में राजकुमार तिवारी उर्फ राज तिवारी के आयोजकत्व में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन श्रोताओं का अभूतपूर्व उत्साह देखते ही बना। तीर्थराज प्रयाग की पावन धरती से पधारे कथा व्यास बालशुक आचार्य देवव्रत जी महाराज ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए सुदामा कृष्ण की मित्रता को समाज के लिए अविस्मरणीय उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि सच्चा मित्र वही है जो बुरे दिन में मित्र के काम आए।
कथा व्यास जी ने किसी कवि की पंक्ति का उदाहरण देते हुए पढ़ा_
बनी होती है तो उस पर न्योछावर हजार होते हैं
बनी बिगड़ जाती है तो दुश्मन हजार होते हैं।
उन्होंने श्री रामचरितमानस से भरत चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि भाइयों में अगाध प्रेम का उदाहरण राम और भरत हैं। मां कैकई द्वारा चक्रवर्ती महाराज दशरथ से मांगे गए दो वरदान,एक से भरत को राजगद्दी एवं दुसरे से राम को 14 वर्ष का वनवास भी भरत और राम के प्रेम को डिगा नहीं पाया।
आचार्य जी ने कलियुग के महत्व को समझाते हुए कहा कि यदि विश्वास है तो श्रीमद् भागवत कथारूपी छतरी (सत्संग) की छाया में ही कलियुग में जीवन संभव है। उपवास की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि परमात्मा के पास बास ही उपवास है। इसलिए उपवास के दिन भोजन पर ध्यान न देकर भगवान के भजन पर ध्यान देना चाहिए।
कथा के अंतिम दिन उपस्थित श्रोताओं में प्रमुख रूप से मुख्य यजमान श्रीमती कलावती तिवारी के अलावा विश्व बंधुत्व संघ प्रयाग के प्रमुख मार्गदर्शक वीरेंद्र गिरि(सपत्नीक) सहित वरिष्ठ अधिवक्ता परशुराम उपाध्याय सुमन, पंडित अंबिका प्रसाद पांडे, बम बहादुर सिंह राजेंद्र, कृष्ण कुमार उपाध्याय, प्रधान शिवदत्त सिंह दरोगा, राजन दद्दा, प्रधान प्रेम नारायण शुक्ला, शारदा प्रसाद तिवारी, सुषमा मैडम, कु. पंकज सिंह, श्रीमती रेखा तिवारी, इंस्पेक्टर माता प्रसाद तिवारी, कृष्ण कुमार सिंह, शिव बरन पांडे, राम आसरे तिवारी, अंबिका प्रसाद तिवारी तथा बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे व प्रबुद्ध नागरिक रहे।

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