बाढ़ प्रभावित खैरी में अब तक नहीं पहुंच सका प्रशासन
भेलसर, अयोध्या। रुदौली तहसील के बाढ़ प्रभावित तराई क्षेत्र में लगातार सरयू नदी के रौद्र रूप धारण करने के कारण कई गांवों पानी से घिर गए चारो तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने लगे हैं। उफनाती नदी के तेज धार के बीच जिंदगी की जद्दोजहद कहीं भीगते जिस्म तो कही सब कुछ खोने का दर्द, कहीं फिर से आशियाना बनाने की कश्मकश।
जी हां, अगर यह सब देखना है तो रूदौली तहसील क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र तराई के गांवों में आइए जहां सैकड़ों लोग अपना घर बार छोड़कर अपने ही तहसील क्षेत्र में शरणार्थी बन गए हैं और हां सिर्फ इंसानों से ही उनके आशियाने नहीं बल्कि मवेशियों से भी उनके चारागह छूट गए।
बाढ़ प्रभावित तराई क्षेत्र के गांवों महंगू का पुरवा,कैथी,सडरी,पसैया,मुजेहना,पास्ता माफी, नूरपुर,खैरी, सराय नासिर,कोटरा, मांझा सल्लाहपुर व शाहपुर सहित बाढ़ प्रभावित इन गांवों में सरजू नदी का जलस्तर इस कदर बढ़ गया की लोगों के घर डूब गए है लेकिन उसकी हकीकत यह है की तराई क्षेत्र में आई बाढ़ से किसानों की हज़ारों बीघा फसलें डूब चुकी हैं।
सैकड़ों परिवार अपनी जमीन छोड़कर नदी किनारे बंधे पर अपने मवेशियों के साथ शरण लेने को मजबूर हो गए हैं जिनमें कुछ पालतू व कुछ छुटा हैं और खेत खलिहान,नाले नालियां व सड़कें सब जल मग्न हो गए हैं चारों ओर पानी ही पानी है काश यह पानी कुछ उन लोगों की आंखों में भी आ जाता जो बाढ़ पीड़ितों के दर्द को भी नेताओं के राजनैतिक स्टंट सरीखे समझते हैं।
दर असल कुछ एक तथा कथित बुध्य्जीवी आपसे यह भी कहते मिलेंगे की अरे इन लोगों का तो हरसाल का यह धंधा बन गया है जब बाढ़ खत्म होती है तो वापस नदी किनारे चले जाते हैं।
जब बाढ़ आती तो सरकार से तमाम योजनाओं का लाभ लेते हैं यह लोग सरकार को भी चूना लगाते हैं तो ऐसे लोगों को उन बाढ़ प्रभावित शरणार्थियों के बीच एक दिन जरूर गुज़ारना चाहिए सच कहा जाए तो ऐसे लोगों के लिए एक ही रात काफी है।बाढ़ प्रभावित लोगों का कहना है कि प्रशासन की इन्तिज़ामी हकीकत कागजों पर ज्यादा होती है जमीनों पर कम ही होती है।क्योंकि उन लोगों की मदद करने वाले भी तो आखिर हैं तो इंसान ही।
जबकिं अभी कुछ दिन पहले ही रूदौली तहसील क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का डीएम नीतीश कुमार व एसडीएम, तहसीलदार सहित पूरी टीम के साथ निरीक्षण कर बाढ़ प्रभावितों के लिए हर सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।उसके बाद जब सरजू नदी ने रुद्ररूप धारण किया और तराई क्षेत्र के दर्जनों गांवों पानी से घिर गए।
उसकी हकीकत यह है तराई क्षेत्र में आई बाढ़ से किसानों की हज़ारों बीघा फसलें डूब चुकी हैं। सैकड़ों परिवार अपनी जमीन छोड़कर नदी किनारे बंधे पर अपने मवेशियों के साथ शरण लेने को मजबूर हो गए हैं जिनमें कुछ पालतू व कुछ छुट्टा हैं।बाढ़ प्रभावित इलाकों का मंगलवार को एडीएम एफआर महेंद्र कुमार सिंह व एसडीएम रूदौली स्वपलिंन यादव, तहसीलदार प्रज्ञा सिंह व स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ बाढ़ प्रभावित गांवों का निरीक्षण करने के लिए आए और प्रभावित लोगों को हर सुविधा मुहैया कराने के लिए खबरों में हमेशा चौकस दिखते हैं और प्रशासन का दावा है कि बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों को पके खाने का डिब्बा दिया जा रहा है।
बाढ़ प्रभावित मुजेहना गांव और सराय नासिर गांवों में चारों तरफ से पानी ही पानी है दोनो गांवों के घरों में पानी भरा हुआ है ग्रामीण सुरक्षित स्थान नदी के किनारे बंधे पर अपने मवेशियों के साथ शरण लिए हुए हैं।
सरांय नासिर निवासी मोहम्मद आलम,रामतेज,मायाराम,राजकरन,पप्पू,बलकरन,भगोती,रामतीर्थ व मुजेहना गांव निवासी रामकिशोर,अनूप,फकरुद्दीन,घनश्याम,शहुल,पुत्तीलाल व अनिल ने बताया कि हम लोगो का गांव पूरी तरह से पानी डूबा हुआ है लोग बंधे पर अपने जानवरों के साथ शरण लिए हुए हैं इन लोगो का कहना है कि अब तक शासन प्रशासन द्दारा हमारे गांव के पीड़ितों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
बंधे पर शरण लिए बाढ़ प्रभावित लोगों को खाने की व्यस्था के बारे ग्राम पंचायत खैरी के ग्राम प्रधान मोहम्मद अहमद ने बताया कि मेरे ग्राम सभा मे मुजेहना व सरांय नासिर लगते है जिसमें तीन दिनों से लोग खाने पीने के लिए परेशान हैं।ग्राम प्रधान ने बताया कि गांव की लगभग 490 लोगों की आबादी है जिनके लिए मात्र 110 डिब्बा पूड़ी सब्जी भेजा गया है।
जिसमे किसी डिब्बे में 4 तो किसी में 6 पूड़ियां थी इसके अलावा यहां पर न तो जानवरो के लिए कोई चारा भूसा का इन्तिजाम किया गया है और न यहां पर पन्नी व तिरपाल आदि की कोई व्यवस्था की गई है लोग रात में बंधे पर काफी संख्या में लोग शरण लिए हुए अगर रात में बारिश हो जाये तो इन लोगों का और बुरा हाल हो जायेगा।उन्होंने बताया कि प्रशाशन द्दारा यहां के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं कि गई है।
ग्राम प्रधान ने प्रधान ने बताया बुधवार को विधायक पुत्र आलोक चन्द्र यादव आए हुए थे उनको ग्रामीणों ने अपनी समस्या बताई समस्या सुनते ही वह गाड़ी मोड़कर चले गए और उन्होंने लेखपाल के हाथ से 20 पैकेट पूड़ी सब्जी भेजवाया जिसको ग्रामीणों ने लेने से इनकार कर दिया और कहा कि हम लगभग 200 लोग हैं 20 पैकेट लेकर किया करेंगे।
ग्राम प्रधान ने बताया कि बाढ़ प्रभावित हमारे गांव में न तो डीएम आए न एडीएम औऱ न ही एसडीएम आए केवल तीन दिन पहले तहसीलदार आई थी और निरीक्षण करके चली गई।
ब्यूरो मनोज तिवारी के साथ अब्दुल जब्बार एडवोकेट व डॉ0 मो0 शब्बीर