ईश्वर के निराकार व साकार रूप को जानने वाले के जीवन में होता है आनंद- स्वात्मानंद महाराज

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लालगंजःरायबरेली , निराकार रूप ईश्वर मानव स्वरूप में धरती पर अवतार लेते हैं यह उनका साकार रूप होता है। जिस व्यक्ति को भगवान के साकार व निराकार दोनो रूपों का ज्ञान हो जाता है उसके जीवन में आनंद ही आनंद आ जाता है। यह बात गुनागरखेड़ा मजरे बहरामपुर गांव में चल रही श्रीमद् भागवतकथा के अंतिम दिन स्वामी स्वात्मानंद महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण एकांत में उद्धव जी से ब्रज के प्रेम का स्मरण करते हैं। जीवन में एकांत मिलना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि जहां समाज में श्रृजन, संयम, उद्धार की चर्चा हो वहीं बैठना चाहिए क्योंकि जीवन में जो व्यवहार आ जाता है उसी के अनुरूप उसे समाज में याद किया जाता है।

गीता में भी कहा गया है कि भगवान के बोध के लिए सत्संग में जाना चाहिए व साधु संतो की संगत करनी चाहिए। जिनके जीवन में संतो के आदर्शाें की छाया होती है वह कभी व्यथित नही होते। उनके जीवन में आत्मबल बना रहता है। उन्होंने कहा कि गोपिकाएं भगवान श्रीकृष्ण में ब्रम्ह का दर्शन करती थी। जिन्होंने जीवन में ब्रम्ह का दर्शन कर लिया वह आनंद का दर्शन करते हैं। लोगों को ईश्वर की महिमा का बोध नही होता। जिसने थोड़ा भी भगवान की महिमा को जान लिया उसी के जीवन में परम आनंद है।

भागवतकथा में आने वालों का आभार प्रदर्शन अभियोजन अधिकारी शैलेश अग्निहोत्री ने किया। इस मौके पर शिव सागर अग्निहोत्री, राजकुमारी, गंगासागर, स्वतंत्र, शैलेश, बिमलेश, राहुल, रोहित, जयलक्ष्मी, रचना, अंकिता, माधुरी, सौम्या, शुभी,कार्तिकेय शंकर वाजपेयी, शानू वाजपेयी, संजय सिंह, दुक्खीलाल, सुनील सिंह, राम प्रकाश त्रिपाठी,शोभनाथ अवस्थी, राकेश पांडेय, गोपाल सिंह आदि भारी सैकड़ो की संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

रिपोर्ट- संदीप कुमार फिजा

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