राम मंदिर पर कांग्रेसी सरकार का वार

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राम मंदिर निर्माण को दे रहे पहाड़ को सरकार ने किया बन्द

रिपोर्टर -बिस्मिल्लाह खान

अयोध्या – राजस्थान सरकार ने बंसी पहाड़पुर के पिंक स्टोन खदान पर रोक लगा दी है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण इन्हीं पिंक स्टोन पत्थरों से किया जाना है। अयोध्या की कार्यशाला में राजस्थान से आए बंसी पहाड़पुर के पिंक स्टोन पत्थरो को तराश कर राम मंदिर के योग्य बनाया गया है। राम मंदिर के लिए लगभग तीन लाख घनफुट पत्थरों की जरूरत है । जिसमें से एक लाख घनफुट पत्थरों को तराशा जा चुका है। 20 हजार घनफुट के करीब पत्थर रामसेवक पुरम में रखे हुए हैं । बचे पत्थरों को बंसी पहाड़पुर की खदान से अयोध्या मगाया जाना है। हालांकि इस खबर पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय का सधा बयान है कि वक्त आने पर वह कुछ बोलेंगे।अयोध्या राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होने के करीब है। राम मंदिर निर्माण के लिए टेस्ट पाइलिंग का काम 11 सितंबर से शुरू कर दिया गया है। वही कार्यशाला में रखे गए पिंक स्टोन पत्थरो को राम जन्मभूमि परिसर में कैसे लाया जाए इसकी भी रणनीति बनाई जा रही है। लेकिन इन सबके बीच राजस्थान से जो खबर आ रही है वह थोड़ा चौंकाने वाली है। खबरों के अनुसार राजस्थान के बंसी पहाड़पुर पिंक स्टोन खदान पर राजस्थान सरकार ने रोक लगा रखी है। वही राम मंदिर निर्माण के लिए लगभग 3 लाख घनफुट पत्थरों की जरूरत है। अभी वर्तमान में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पास लगभग डेढ़ लाख घनफुट पत्थर मौजूद हैं। जिनमें 1 लाख घनफुट पत्थर तकरीबन कार्यशाला में राम मंदिर के लिए तराश के रखे गए हैं।

वही कार्यशाला के मैनेजर अन्नू भाई सोमपुरा का कहना है कि राम मंदिर निर्माण के लिए 1990 में कार्यशाला स्थापित की गई थी।उसी समय से बंसी पहाड़पुर राजस्थान से पत्थरों को मंगाया जा रहा था।अभी वर्तमान में कार्यशाला बंद चल रही है।क्योंकि तकरीबन एक लाख घनफुट पत्थरों को तराश कर राम मंदिर के योग्य बनाया जा चुका है और जो पत्थर राजस्थान से आने हैं उनको मगाए जाएगा। लेकिन पहले यह तराशे गए पत्थरों को राम जन्मभूमि परिसर में पहुंचा दिया जाए। हालांकि अब जो कार्यशाला शुरू होगी तो वह राम जन्मभूमि परिसर में ही शुरू होगी। अनु भाई सोमपुरा का कहना है की पत्थरो की कोई कमी नहीं है। अभी भी राजस्थान से उनके पास फोन आ रहे हैं की पिंक स्टोन पत्थर तैयार हैं। उनको कब भेजा जाए। लेकिन राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।अयोध्या के कार्यशाला के नजदीक रामसेवक पुरम में लगभग 20 हजार के करीब घनफुट पत्थर ऐसे ही रखे गए हैं। जिनको तराशे जाने हैं। लेकिन कार्यशाला मैं अभी कोई कार्य नहीं हो रहा है तो वह पत्थर रामसेवक पुरम में ही रखे गए है। विश्व हिंदू परिषद और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पास तकरीबन डेढ़ लाख के करीब पिंक स्टोन पत्थर हैं । और पत्थर राजस्थान से मंगाए जाने हैं लेकिन राजस्थान सरकार ने जिस तरीके से बंसी पहाड़पुर की खदान पर रोक लगा रखी है तो बड़ा सवाल यह है कि अब कार्यशाला के लिए राजस्थान से पिंक स्टोन पत्थर कैसे आएंगे। हालांकि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय से जब यह सवाल किया गया तो उनका जवाब बेहद चौंकाने वाला था। चंपत राय का कहना है कि हालांकि यह खबर अभी अखबारी है। इससे पूर्व वर्ष 2000 में जब वसुंधरा सरकार थी तब भी खदानों पर रोक लगी थी। हालांकि चंपत राय का यह भी कहना है कि जो सवाल अभी किए गए हैं उसका जवाब वक्त आने पर दिया जाएगा।अभी पहली मंजिल का कार्य करने के लिए 1 लाख फुट पत्थर तराश के रखे गए हैं । जिससे राम मंदिर निर्माण का कार्य भी शुरू हो सकता है।हम आपको बताते हैं की राजस्थान के बंसी पहाड़पुर का पिंक स्टोन पत्थर राम मंदिर निर्माण के लिए कितना महत्वपूर्ण है। हरिधाम पीठ के महंत जगतगुरु राम दिनेशचार्य का कहना है पिंक स्टोन पत्थर देखने में बहुत सुंदर होते हैं जो मार्बल से अच्छे दिखते हैं।यही नहीं यह पिंक स्टोन पत्थर इनकी उम्र लगभग 1000 वर्ष के करीब होती है। राजस्थान के बंसी पहाड़पुर में ही पिंक स्टोन पत्थर पक्के और अच्छे होते हैं। जिनका प्रयोग मंदिर निर्माण में किया जाता है।इसीलिए राम मंदिर में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर पिंक स्टोन पत्थरों का प्रयोग किया जा रहा है।

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