डीएम और एसपी पर भारी पड़ रहा संविदाकर्मी का रसूख

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– डीएम से शिकायत व आश्वासन के बाद भी कार्यवाही शून्य

– तीन दिन में कार्यवाही न होने पर पत्रकार करेगे प्रशासन की खबरों का लाकडाउन

संदीप रिछारिया (वरिष्ठ संपादक)

चित्रकूट। कोरोना कासल में इन दिनों अच्छी और बुरी खबरों की भरमार है। बुरी वो जो कोरोना के कारण पीड़ित, लाकडाउन तोड़ने और कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ने और मृत्यु पर आधारित है। अच्छी वो जो कोरोना वारियर्स की सह्रदयता और नेकनीयती की चर्चा करती है। डॉक्टरों को वास्तव में धरती का भगवान घोषित करती है। लोग पुलिस, डॉक्टरों पर फूलों की बारिश भी कर रहे है, इन्ही खबरों के बीच एक खबर चित्रकूट से निकलती है जो एक डॉक्टर को भगवान नही हैवान बता देती है।आइये देखते है कि आखिर कैसे एक डॉक्टर भगवान तो छोड़िए इंसान भी नही बचा बल्कि वह इन दिनों हैवान का रूप रख प्रशासन के लिए मुसीबत का सबब बनने जा रहा है। इसका रसूख इस समय कुछ इस तरह है कि गलती होने के बाद भी जिला प्रशासन इस संविदाकर्मी डॉक्टर को दंडित करने की जगह बचाने का काम कर पत्रकारों पर ही रौब गाँठ रहा है। वरिष्ठ पत्रकार के दुर्व्यवहार से आहत पत्रकार भी इस मामले को हल्के से नही ले रहे है। पत्रकार ग्रुप के दो जिलाध्यक्ष ने प्रशासन से दो -दो हाथ करने की मंशा से डॉक्टर के खिलाफ तीन दिन की मियाद रख कार्यवाही की मांग का पत्र दिया है। उन्होंने एकजुटता की बात कह धमकी भी दी कि अगर डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्यवाही न की गई तो 3 दिन बाद प्रशासन की खबरों का लाकडाउन कर दिया जाएगा। यानी प्रशासन की खबरे सूचना विभाग के मेल और व्हाट्सअप ग्रुप से उठाई ही नही जाएगी।

आइये अब जिला अस्पताल में अपनी सेवाएं संविदा कर्मी के तौर पर दे रहे डॉक्टर मोहित गुप्ता का प्रोफ़ाइल देखते है।ये चित्रकूट के प्रसिद्द ह्रदयरोग विशेषज्ञ डॉक्टर महेंद्र गुप्ता के पुत्र है।इनका एक छोटा सा चिकित्सालय स्टेशन के सामने हुआ करता था।पिता ने बेटे को हमपेशा बनाया तो दोनों ने अकूत दौलत इकठ्ठा की। इनके पिता को आज से 25 साल पहले कर्वी में नजरिया डॉक्टर कहा जाता था। यानि इनके यहाँ मरीज पहुँचा तो भले ही उसे सर्दी जुखाम हो,लेकिन उसकी हजार रुपए की जेब कटनी तय है। बेटा हमपेशा बना तो कमाई भी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ी। लिहाजा एक बड़ी जमीन खरीदकर हॉस्पिटल भी बन गया। जिला मुख्यालय में कई नर्सिंग होम होने व डॉक्टर महेंद्र गुप्ता की लोकप्रियता गिरने के कारण कमाई का नया जुगाड़ इन्होंने अपने बेटे की भर्ती जिला अस्पताल में संविदाकर्मी के रूप में करवा दी। बेटे ने अस्पताल में इलाज की जगह अपने नर्सिग होम में मरीजों को भेजना शुरू कर दिया। इस दौरान ज्यादा पैसा कमाने पर इनका दिमाग भी खराब हो गया।

अब बात करते है ताजा विवाद की। एक सप्ताह पहले आज अखबार के जिला व्यूरो शंकर प्रसाद यादव जिला अस्पताल पहुचे।वहाँ 12 दिनों से इलाज कर रहे मरीज ने जब अपना दर्द बताया तो वो डॉक्टर मोहित के केबिन में गए। डॉक्टर वहां नही थे। उन्होंने सीएमएस से कहा तो सीएमएस ने फोन कर उन्हें बुलाया। डॉक्टर के आने के बाद जैसे ही श्री यादव उनके केबिन में पहुँचे तो वे आग बबूला हो गए। अभद्रता के साथ बात करने के अलावा तमाम धमकियां देने लगे। श्री यादव ने इसकी शिकायत सीएमएस, सीएमओ व डीएम से लिखित रूप में की। डीएम ने सीएमएस को जांच करने के आदेश देते हुए कहा कि वीडियो में डॉक्टर की गलती दिख रही है सीएमएस की रिपोर्ट आने दीजिये कार्यवाही निश्चित होगी। सीएमएस ने अपनी रिपोर्ट अगले दिन डीएम को सौप दी,लेकिन तीन दिन तक कार्यवाही न होने पर श्री यादव अन्य साथी पत्रकारों के साथ कोतवाली में जाकर डॉक्टर के खिलाफ दुर्व्यवहार करने का मुकदमा लिखाने का प्रयास किया। लेकिन डॉक्टर का रसूख व एक दलाल की रणनीति के चलते मुकदमा नही दर्ज हो सका। एक सप्ताह बीतने के बाद प्रेस क्लब के अध्यक्ष सत्य प्रकाश द्विवेदी, पत्रकार प्रेस परिषद के अध्यक्ष रतन पटेल ने प्रशासन को पत्र देकर डॉक्टर को बचाने का आरोप लगा आर पार लड़ाई छेड़ने की बात कही। धमकी दिया कि 3 दिन में अगर डॉक्टर के खिलाफ कार्यवाही न हुई तो प्रशासन की खबरों का बहिष्कार करने के साथ अपनी आवाज दिल्ली व लखनऊ में उठाई जाएगी।

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