राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण विवाद ने तूल पकड़ा

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पूर्व सांसद सैकडों समर्थकों के साथ पहुंचे थाने

कुलपहाड ( महोबा ) ।राष्ट्रीय राजमार्ग के चौडीकरण के नाम पर तोडफोड का विवाद तूल पकडता जा रहा है। पूर्व सांसद गंगाचरण राजपूत के प्रकरण में कूद पडने के बाद एनएच के अभियंता बैकफुट पर आ गए हैं।

नगर से गुजरने वाले हाइवे का चौडीकरण होने जा रहा है या सकरीकरण एक नया सवाल उठ खडा हुआ है। पूरा पेंच ११० मीटर के टुकडे पर आकर फंस गया है। एनएच अभियंता बिना किसी मुआवजे के सडक के चौडीकरण की फिराक में थे क्योंकि मुआवजा तो छोड अभी तक एनएच अभियंताओं ने अधिग्रहण की प्रक्रिया ही शुरु नहीं की है। ऐसे में सड़क का चौडीकरण भी अधर में लटक गया है।

राजमार्ग के चौडीकरण को लेकर मामला के तूल पकडते ही पूर्व सांसद गंगाचरण राजपूत सैकड़ों लोगों के साथ कुलपहाड़ थाने पहुंचे और सड़क के दोनों ओर मकानों में की गई तोड़फोड़ की जानकारी ली। थाने में उपस्थित राष्ट्रीय राजमार्ग संगठन के अभियंता रोहित सिंह ने बताया कि कुलपहाड़ बस्ती में 36 मीटर से लेकर 12 मीटर की चौड़ाई है जबकि डिवाइडर और दोनों ओर नाली होने के कारण 22 मीटर चौड़ाई मैं निर्माण कार्य कराया जाना प्रस्तावित है उन्होंने कहा की जहां चौड़ाई कम है वहां जमीन अधिग्रहण व मुआवजे की कार्यवाही का प्रस्ताव केंद्रीय सड़क संगठन को भेजा जाएगा यदि वहां से स्वीकृति मिलती है तो सड़क का निर्माण कराया जाएगा और यदि नहीं मिलती है तो जितनी चौड़ाई की जमीन राष्ट्रीय सड़क संगठन के पास है उतने में ही सड़क का निर्माण करा दिया जाएगा। इसके लिए पुराने बंदोबस्ती नक्शे को आधार बनाकर कार्रवाई की जाएगी बैठक में उपजिलाधिकारी मोहम्मद अवैस तहसीलदार सुबोधमणि शर्मा , कोतवाली प्रभीरी अनूप कुमार दुबे, अमित प्रताप सिंह , उदित राजपूत , अजीत कुशवाहा , आलोक अग्रवाल , शोभित सोनी , राहुल अग्रवाल , धर्मेंद्र यादव सभासद , सुनील अग्रवाल , हरी अनुरागी सहित महिलाएं पुरुष उपस्थित रहे।
पीडित दिलीप यादव ने आरोप लगाते हुए कि नाप पनवाडी तरफ से होना चाहिए न कि महोबा ओर से। क्योंकि एनएच झांसी से मिर्जापुर है न कि मिर्जापुर से झांसी। ११० मीटर सडक को पहले चिन्हित किया जाए। शासनादेश के अनुरूप वांछित जगह का मुआवजा देकर अधिग्रहण किया जाए इसके बाद ही सडक के चौडीकरण की प्रक्रिया शुरु हो।

यदि जल्द विवाद नहीं सुलटता है तो हो सकता है कि कई महीनों तक के लिए सडक चौडीकरण की प्रक्रिया अधर में लटक सकती है।

Rakesh Kumar Agrawal

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