सामाजिक कार्यकर्ता ने 50 वर्ष की उम्र होने पर लिया देहदान का संकल्प

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रिपोर्ट – राजकुमार गुप्ता

वाराणसी: सामाजिक कार्यकर्ता वल्लभाचार्य पाण्डेय सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट के समन्वयक है और साझा संस्कृति मंच जन संगठन के सक्रिय सदस्य हैं। जो जन अधिकारों, गंगा संरक्षण, प्रकृति और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर हमेशा अपनी सक्रिय भागीदारी निभाते रहे हैं। स्नातक की पढ़ाई के समय से ही नियमित रूप से रक्तदान करते रहे हैं और रक्तदान का शतक लगाने की इच्छा रखते हैं। अब तक 91 यूनिट रक्त और 4 यूनिट प्लेटलेट का दान कर चुके वल्लभाचार्य ने सपरिवार नेत्रदान का संकल्प पत्र 10 वर्ष पूर्व ही वाराणसी नेत्र बैंक को प्रस्तुत कर दिया था और अब मरणोपरांत शरीर दान का संकल्प लेकर उन्होंने मानवता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसके पूर्व 24 अगस्त को 50 वर्ष पूर्ण करने के अवसर पर वल्लभाचार्य के मित्रों ने बड़ागांव में 50 फलदार पौधों को रोप कर प्रकृति की सेवा के प्रति अपनी निष्ठा दिखाई थी।

वाराणसी के चौबेपुर क्षेत्र के भंदहा कला (कैथी) गाँव के निवासी सामाजिक कार्यकर्त्ता वल्लभाचार्य पाण्डेय ने अपने जीवन के इक्यावनवें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर मरणोपरांत देहदान का संकल्प लिया है जिसकी क्षेत्र में भूरि – भूरि प्रशंसा की जा रही है.. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के शरीर विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष को प्रेषित संकल्प पत्र में श्री पाण्डेय ने उल्लेख किया है कि मृत्यु के बाद उनके पार्थिव शरीर का चिकित्सा अनुसंधान, शोध और अध्ययन हेतु चिकित्सा विज्ञान संस्थान द्वारा प्रयोग किया जाय। सोशल मीडिया पर उनके इस कदम की काफी सराहना हुयी है।

अपने इस कदम के बारे में वल्लभाचार्य बताते हैं कि जीवन नश्वर और क्षण भंगुर है और प्रकृति ने हमे बहुत कुछ दिया है जिसकी भरपाई हम अपने जीवनकाल में तो कर नही सकते, मृत शरीर को अग्नि के हवाले करने की बजाय यदि उसका उपयोग चिकित्सा विज्ञान से जुड़े शोध के लिए हो सके तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है , रही बात शास्त्रीय विधि विधान से अंतिम संस्कार की तो उसके लिए बहुत प्रकार के प्राविधान किये गये हैं जिससे वे सभी संस्कार अपनी मान्यताओं के अनुसार किये जा सकते हैं। मैंने कहीं पढ़ा था कि भारत में शरीर विज्ञान (एनाटॉमी ) के अध्ययन हेतु शरीर उपलब्ध नही पाते हैं। जीवन के पचास वर्ष पूर्ण करने की बाद जब वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश हो रहा हो तो यह संकल्प लिया जाना धरती माँ और मानवता के प्रति अपने दायित्व की पूर्ति करने की एक छोटी कोशिश मात्र है।

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