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Mohan Bhagwat: जनसंख्या नीति पर बोले मोहन भागवत, कहा-किसी को छूट न मिले

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Mohan Bhagwat: जनसंख्या नीति पर बोले मोहन भागवत, कहा-किसी को छूट न मिले

Mohan Bhagwat: आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहाकि देश में जनसंख्या का सही संतुलन जरूरी है, किसी को कानून में छूट नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहाकि हमें यह ध्यान रखना होगा कि अपने देश का पर्यावरण कितने लोगों को खिला सकता है, कितने लोगों को झेल सकता है। यह केवल देश का प्रश्न नहीं है। जन्म देने वाली माता का भी प्रश्न है। उन्होंने कहा, जनसंख्या की एक समग्र नीति बने, वह सब पर लागू हो। उस नीति से किसी को छूट न मिले।

Mohan Bhagwat: 1925 में दशहरे के दिन ही आरएसएस की स्थापना की गई थी। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी। अपने स्थापना दिवस कार्यक्रम में संघ देश भर में पथ संचलन कार्यक्रम का आयोजन करता है।

Mohan Bhagwat: आरएसएस के दशहरा उत्सव कार्यक्रम में पहली बार कोई महिला मुख्य अतिथि शामिल हुईं। इस बार पद्मश्री संतोष यादव इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पर्वतारोही संतोष यादव ने कहा, पूरे विश्व के मानव समाज को मैं अनुरोध करना चाहती हूँ कि वो आये और संघ के कार्यकलापों को देखे।

Mohan Bhagwat: इस मौके पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, शक्ति ही शुभ और शांति का आधार है। हम महिलाओं को जगतजननी मानते हैं, लेकिन उन्हें पूजाघर में बंद कर देते हैं। उन्होंने कहा, हमें मातृशक्ति के जागरण का काम अपने परिवार से ही प्रारंभ करना होगा।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहाकि समाज के विभिन्न वर्गों में स्वार्थ व द्वेष के आधार पर दूरियां और दुश्मनी बनाने का काम स्वतन्त्र भारत में भी चल रहा है। ऐसे लोग अपने स्वार्थों के लिए हमारे हमदर्द बनकर आते हैं, उनके चंगुल में फंसना नहीं है।

उन्होंने कहा, ऐसे लोगों के बहकावे में न फंसते हुए, उनकी भाषा, पंथ, प्रांत, नीति कोई भी हो उनके प्रति निर्मोही होकर निर्भयतापूर्वक उनका निषेध व प्रतिकार करना चाहिए।

Mohan Bhagwat: संघ प्रमुख ने समाज में एकता की अपील की। उन्होंने कहा, जाति के आधार पर विभेद करना अधर्म है। यह धर्म के मूल से भी परे हैं। उन्होंने कहा, कौन घोड़ी चढ़ सकता है और कौन नहीं..ऐसी बातें समाज से विदा हो जानी चाहिए। समाज में सभी के लिए मंदिर, पानी और श्मशाम एक होने चाहिए।

भागवत ने कहा, भाषा, संस्कृति और संस्कार बचाने के लिए हमें खुद ही जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा, हमें देखना होगा कि इसके लिए हम अपनी ओर से क्या करते हैं। क्या हम घर की नेम प्लेट को मातृभाषा में लगवाते हैं? क्या निमंत्रण पत्र मातृभाषा में छपवाते हैं? क्या अपने बच्चों को संस्कारों के लिए पढ़ने के लिए भेजते हैं? उन्होंने कहा, हम बच्चों को इस लिहाज से भेजते हैं कि वह ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए ज्यादा डिग्री लें।

Mohan Bhagwat: मोहन भागवत ने कहा, देश में जनसंख्या का सही संतुलन जरूरी है। हमें यह ध्यान रखना होगा कि अपने देश का पर्यावरण कितने लोगों को खिला सकता है, कितने लोगों को झेल सकता है। यह केवल देश का प्रश्न नहीं है। जन्म देने वाली माता का भी प्रश्न है। उन्होंने कहा, जनसंख्या की एक समग्र नीति बने, वह सब पर लागू हो। उस नीति से किसी को छूट न मिले।

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