SC ABORTION RULE: अबॉर्शन का मिला अधिकार, वाइफ जबरन प्रेग्नेंट हुई तो गर्भपात की हकदार

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SC ABORTION RULE ON ABORTION FOR BACHELOR AND MARRIED

SC ABORTION RULE: सुप्रीम कोर्ट ने सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दे दिया, फिर चाहे वो विवाहित हों या अविवाहित। कोर्ट ने कहाकि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 22 से 24 हफ्ते तक गर्भपात का हक सभी को है।

SC ABORTION RULE: बेंच की अगुआई कर रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहाकि ये दकियानूसी धारणा है कि सिर्फ शादीशुदा महिलाएं ही सेक्शुअली एक्टिव रहती हैं। अबॉर्शन के अधिकार में महिला के विवाहित या अविवाहित होने से फर्क नहीं पड़ता।

SC ABORTION RULE: देश की सर्वोच्च अदालत ने कहाकि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में मैरिटल रेप को शामिल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहाकि अगर जबरन सेक्स की वजह से पत्नी गर्भवती होती है तो उसे सेफ और लीगल अबॉर्शन का हक है।

SC ABORTION RULE: बता दें कि विवाहित महिला भी सेक्शुअल असॉल्ट और रेप सर्वाइवर्स के दायरे में आती है। रेप की सामान्य परिभाषा यह है कि किसी महिला के साथ उसकी सहमति के बिना या इच्छा के खिलाफ संबंध बनाया जाए। भले ही ऐसा मामला वैवाहिक बंधन के दौरान हुआ हो। एक महिला पति के द्वारा बनाए गए बिना सहमति के यौन संबंधों के चलते गर्भवती हो सकती है।

अं SC ABORTION RULE: तरंग साथी की हिंसा एक वास्तविकता है और यह रेप में भी तब्दील हो सकती है, अगर हम इसे नहीं पहचानते हैं तो ये लापरवाही होगी। अजनबी ही विशेष तौर पर या खास मौकों पर यौन और लिंग आधारित हिंसा के लिए जिम्मेदार होते हैं, यह गलत और अफसोसनाक धारणा है। परिवार के लिहाज से देखा जाए तो महिलाएं सभी तरह की यौन हिंसा के अनुभवों से गुजरती हैं। ये लंबे समय से हो रहा है।

अदालत ने कहा- मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा 3 (2) (बी) किसी महिला को 20-24 सप्ताह के बाद गर्भपात कराने की अनुमति देती है। इसलिए केवल विवाहित महिलाओं को अनुमति और अविवाहित महिला को न देना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने 23 अगस्त को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

फैसला सुनाए जाने के बाद, एक वकील ने बेंच को बताया कि आज इंटरनेशनल सेफ अबॉर्शन डे है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- मुझे नहीं पता था कि इंटरनेशनल सेफ अबॉर्शन डे के दिन हम फैसला सुना रहे हैं। हमें यह जानकारी देने के लिए धन्यवाद। हालांकि इंटरनेशनल सेफ अबॉर्शन डे 28 सितंबर को आता है।

SC ABORTION RULE: सुप्रीम कोर्ट ने यह बड़ा फैसला 25 साल की एक अविवाहित महिला की याचिका पर सुनाया। महिला ने अदालत से 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की इजाजत मांगी थी। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 जुलाई को महिला की इस मांग को खारिज कर दिया था। महिला ने हाईकोर्ट को बताया था कि वह सहमति से सेक्स के चलते प्रेग्नेंट हुई, लेकिन बच्चे को जन्म नहीं दे सकती क्योंकि वह एक अविवाहित महिला है और उसके साथी ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया है।

इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। SC ने 21 जुलाई 2022 को एक अंतरिम आदेश पारित किया। इसमें दिल्ली AIIMS की ओर से बनाए गए मेडिकल बोर्ड के सुपरविजन में अबॉर्शन की अनुमति दी गई थी। इसमें यह निष्कर्ष निकाला गया था कि महिला के जीवन को जोखिम में डाले बिना अबॉर्शन किया जा सकता है।

SC ABORTION RULE: अबॉर्शन से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘शादीशुदा महिलाएं भी रेप पीड़िताओं की श्रेणी में आ सकती हैं। रेप का मतलब है बिना सहमति संबंध बनाना, भले ही ये जबरन संबंध शादीशुदा रिश्ते में बने। महिला अपने पति के जबरन बनाए संबंध की वजह से प्रेग्नेंट हो सकती है। अगर ऐसे जबरन संबंधों की वजह से पत्नी प्रेग्नेंट होती हैं, तो उसे अबॉर्शन का अधिकार है।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति के जबरन संबंध से पत्नी के प्रेग्नेंट होने का मामला मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल यानी MTP के रूल 3B (a) के तहत रेप माना जाएगा। MPT एक्ट के रूल 3B (a) में महिलाओं की उन कैटिगरी का जिक्र है जो 20-24 हफ्तों की प्रेग्नेंसी तक अबॉर्शन करवा सकती हैं।

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